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उत्तराखंड की इमारती लकड़ी की देशभर में बढ़ी धाक, हल्द्वानी बना प्रमुख व्यापारिक केंद्र

The fame of Uttarakhand's timber increased across the country, Haldwani became a major trading center

हल्द्वानी – उत्तराखंड की समृद्ध वन संपदा एक बार फिर आर्थिक और औद्योगिक विकास की नई कहानी लिख रही है। राज्य के घने जंगलों में पाए जाने वाली साल, शीशम और सागौन जैसी इमारती लकड़ियों की मांग देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार बढ़ रही है। खासकर दक्षिण भारत के राज्यों में इन लकड़ियों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, जिससे राज्य के वन निगम को अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त हो रहा है।

राज्य की लकड़ियां बनीं उद्योगों की पहली पसंद

उत्तराखंड का 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है, जिसमें बहुमूल्य इमारती लकड़ियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इन लकड़ियों की मजबूती, टिकाऊपन और सौंदर्य के कारण देशभर के फर्नीचर उद्योगों में इनकी भारी मांग है। हल्द्वानी में स्थित वन विकास निगम के डिपो में इन लकड़ियों का विशाल भंडारण है, जहां से इन्हें देश के विभिन्न भागों में भेजा जा रहा है।

दक्षिण भारत से मिल रही भारी डिमांड

कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में उत्तराखंड की लकड़ियों की डिमांड तेजी से बढ़ी है। वहां की फर्नीचर कंपनियां, निर्माण फर्म और इंटीरियर डिज़ाइन एजेंसियां साल, सागौन और शीशम की लकड़ी को प्राथमिकता दे रही हैं। यह लकड़ी फर्नीचर निर्माण, दरवाजे, खिड़कियां और सजावटी कार्यों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

ई-टेंडरिंग से कारोबार में आई तेजी

वन निगम की ओर से हाल ही में लकड़ी की बिक्री प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। ई-टेंडरिंग के जरिए अब देश के कोने-कोने से खरीदार इस प्रक्रिया में भाग ले पा रहे हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता दोनों में वृद्धि हुई है। इससे वन निगम की आय में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।

आर्थिक वर्ष में राजस्व ने छुआ नया स्तर

वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तराखंड वन निगम को 191 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 201 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह वृद्धि दर्शाती है कि राज्य की इमारती लकड़ी राष्ट्रीय स्तर पर लगातार लोकप्रिय हो रही है।

वन संरक्षण और संतुलन पर भी है ध्यान

वन विभाग इस बढ़ती मांग को देखते हुए वनों की रक्षा और पुनः संवर्धन पर विशेष ध्यान दे रहा है। वृक्षारोपण अभियानों के साथ-साथ टिकाऊ वानिकी की नीतियों पर काम किया जा रहा है ताकि वन क्षेत्र में संतुलन बना रहे और भविष्य में भी लकड़ी की उपलब्धता बनी रहे।

उत्तराखंड की लकड़ी ने बढ़ाया राज्य का मान

आज उत्तराखंड की इमारती लकड़ी न केवल प्रदेश की आर्थिकी को गति दे रही है, बल्कि पूरे देश में अपनी गुणवत्ता के कारण पहचान भी बना रही है। यदि यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड भारत का सबसे बड़ा इमारती लकड़ी आपूर्ति केंद्र बन सकता है, जिससे स्थानीय रोजगार और राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

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