उत्तराखंड

साइबर ठगी का बढ़ता जाल: सात महीने में 84 करोड़ की चपत

Growing web of cyber fraud, 84 crores lost in seven months

डिजिटल युग ने जहां लोगों की जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों के लिए भी यह वरदान साबित हुआ है। ऑनलाइन ठग अब उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो बिना मेहनत के जल्द अमीर बनने का सपना देखते हैं। प्रदेश में केवल सात महीनों में ही 122 साइबर ठगी के मामले दर्ज हुए, जिनमें 84 करोड़ रुपये की गाढ़ी कमाई लोगों से लूटी गई। चिंताजनक बात यह है कि अब ये अपराधी देश में नहीं, बल्कि चीन और थाईलैंड जैसे देशों में बैठकर अपराध को अंजाम दे रहे हैं।


लालच बना सबसे बड़ा हथियार

साइबर ठग ऑनलाइन ट्रेडिंग, डबल पैसा स्कीम और क्रिप्टोकरेंसी जैसी लुभावनी योजनाओं का लालच देकर लोगों को जाल में फंसा रहे हैं। सबसे पहले वे इंटरनेट मीडिया, मैसेजिंग ऐप या ईमेल के जरिए संपर्क करते हैं और मामूली निवेश पर दोगुना-तिगुना मुनाफे का लालच देते हैं। शुरुआत में थोड़ी रकम वापस करके विश्वास जीता जाता है, लेकिन उसके बाद लाखों रुपये हड़प लिए जाते हैं। वरिष्ठ नागरिक और युवा दोनों ही इनका आसान शिकार बन रहे हैं।


पांच साल में 371 करोड़ की ठगी

पिछले पांच साल के आंकड़े साइबर अपराध की गंभीरता को और साफ करते हैं। वर्ष 2021 से जुलाई 2025 तक 1,431 मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें 371 करोड़ 40 लाख रुपये की ठगी हुई। वर्ष 2024 में अकेले 167 करोड़ रुपये लोगों से ऐंठे गए, जबकि 2025 में अब तक 84 करोड़ रुपये की चपत लगाई जा चुकी है। लगातार बढ़ती शिकायतों ने साइबर पुलिस को भी सतर्क कर दिया है।


ठगी के नए-नए तरीके

ठग अब केवल निवेश स्कीम तक सीमित नहीं हैं। ऑनलाइन शॉपिंग में भारी छूट, फर्जी लोन ऐप्स, पार्ट-टाइम जॉब का लालच और यहां तक कि गेमिंग ऐप के जरिए भी लोग ठगे जा रहे हैं। हल्द्वानी में एक बीएससी छात्रा ने ऑनलाइन गेम में लाखों रुपये हारने के बाद आत्महत्या कर ली थी। यह घटना बताती है कि साइबर अपराध केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं बल्कि सामाजिक और मानसिक संकट भी पैदा कर रहा है।


अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश

साइबर क्राइम कंट्रोल के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के अनुसार अब यह अपराध सीमाओं से परे पहुंच चुका है। चीन, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, म्यांमार और हांगकांग जैसे देशों से अपराधी नेटवर्क संचालित कर रहे हैं। भारत में वे केवल बैंक खाते और सिम कार्ड खरीदते हैं, और फिर करोड़ों रुपये विदेश भेज दिए जाते हैं। मिश्रा का कहना है कि अब तक की जांच में यह सामने आया है कि 90 प्रतिशत धनराशि विदेशी नेटवर्क तक पहुंच रही है।


पुलिस की चुनौती और जागरूकता की जरूरत

राज्य पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चला रही है और कई बड़े मामलों में अपराधियों को पकड़ा भी गया है। लेकिन विदेशों में बैठे ठगों पर कार्रवाई करना आसान नहीं है। ऐसे में आम नागरिकों को सजग रहने की आवश्यकता है। मामूली लाभ के लालच में पड़ी जनता ही साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार बन रही है।

 

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