जिला प्रशासन की पहल रंग लाई: भिक्षावृत्ति और बालश्रम से मुक्त 57 बच्चों का स्कूल में दाखिला
The initiative of the district administration bore fruit: 57 children freed from begging and child labour were enrolled in school

देहरादून, 8 अगस्त 2025 – देहरादून जिला प्रशासन के विशेष अभियान ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। भिक्षावृत्ति और बालश्रम उन्मूलन अभियान के तहत 57 बच्चों को रेस्क्यू कर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। अब ये बच्चे कूड़े-कटौरे से दूर, कलम और किताब के साथ नया भविष्य गढ़ रहे हैं।
आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर से बदल रही है तस्वीर
जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस अभियान के तहत साधु राम इंटर कॉलेज में एक आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर स्थापित किया गया है। यहां विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा बच्चों को माइक्रो प्लान के तहत पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर, संगीत, योग, गेम्स और प्रोजेक्टर आधारित गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है।
सितंबर से अब तक इस अभियान के जरिए 300 से अधिक बच्चों को भिक्षावृत्ति और बालश्रम से मुक्त कराया जा चुका है। वर्तमान में करीब 50 बच्चे इस सेंटर में पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा में लौटने की तैयारी कर रहे हैं।
ज्ञानगंगा से जुड़ रहा बचपन
इस विशेष केंद्र का उद्देश्य केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जा रहा है। एक्टिविटी-बेस्ड लर्निंग के जरिए बच्चों में सीखने की रुचि बढ़ रही है। योग और संगीत से मानसिक विकास, जबकि कंप्यूटर प्रशिक्षण से तकनीकी कौशल विकसित किया जा रहा है।
57 बच्चों को तैयार करने के बाद अब उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिला दिया गया है, ताकि वे स्थायी रूप से शिक्षा की धारा में बने रहें।
डीएम का संकल्प – ‘बालश्रम मुक्त जिला’
डीएम सविन बंसल ने कहा कि भिक्षावृत्ति और बालश्रम को खत्म करना केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है। “हमारा लक्ष्य है कि जिले को पूरी तरह से भिक्षावृत्ति और बालश्रम से मुक्त किया जाए। राजधानी में राज्य का पहला आधुनिक सुविधाओं से लैस इंटेंसिव केयर सेंटर इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है,” उन्होंने कहा।
अभियान का व्यापक असर
इस पहल ने न केवल बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है, बल्कि समाज में भी एक जागरूकता पैदा की है। बालश्रम और भिक्षावृत्ति के मुद्दे पर अब जनभागीदारी भी बढ़ने लगी है। प्रशासन का मानना है कि सामूहिक प्रयासों से ही इस समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
जिला प्रशासन की यह मुहिम उन बच्चों के लिए नई उम्मीद बनकर आई है, जिनका बचपन मजबूरी में मजदूरी या भीख मांगने में गुजर रहा था। अब वही बच्चे स्कूल के मैदान में खेलते, कंप्यूटर पर काम करते और नई ऊंचाइयों के सपने देखते नजर आ रहे हैं।