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गंगा दशहरा 2025: हरिद्वार में आस्था का महासंगम, श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी

Ganga Dussehra 2025: Mahasangam of faith in Haridwar, devotees took holy dip

हरिद्वार, 5 जून 2025: पावन पर्व गंगा दशहरा के मौके पर हरिद्वार में एक बार फिर आस्था का महासागर देखने को मिला। आज के दिन को मां गंगा के धरती पर अवतरण की तिथि माना जाता है। इस विशेष अवसर पर हर की पैड़ी और अन्य घाटों पर तड़के से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया और मां गंगा से सुख-समृद्धि तथा मोक्ष की कामना की।

पौराणिक मान्यताओं में गंगा दशहरा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा इसी दिन स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर स्नान करने से दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इनमें शारीरिक, मानसिक और वाचिक दोषों का शमन होता है। साथ ही इस दिन जल का दान, अन्न दान और मौन व्रत का भी विशेष महत्व है।

हरिद्वार में गूंजी भक्ति की ध्वनि

आज तड़के से ही हरिद्वार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हर की पैड़ी, ब्रह्मकुंड और अन्य प्रमुख घाटों पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते नजर आए। श्रद्धालुओं ने गंगाजल से स्नान कर पूजन किया और आरती में शामिल होकर दिव्यता का अनुभव किया। घाटों पर भजन-कीर्तन, हवन और दान की परंपराएं भी निभाई गईं।

पंडितों ने बताया स्नान का आध्यात्मिक लाभ

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज राजन त्रिपाठी के अनुसार, “गंगा दशहरा पर मौन रहकर स्नान करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और वाणी से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। यह दिन आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ है।”

सुरक्षा और सुविधाओं की चाक-चौबंद व्यवस्था

हरिद्वार पुलिस और प्रशासन ने इस विशेष पर्व को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया। एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने जानकारी दी कि पूरे मेला क्षेत्र को 2 सुपर जोन, 11 जोन और 27 सेक्टरों में विभाजित कर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। CCTV कैमरे, ड्रोन निगरानी, मेडिकल कैंप और यातायात नियंत्रण जैसे इंतजामों से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया।

उदया तिथि में पुण्य की वर्षा

पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा की ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि आज 5 जून को उदया काल में होने से यह दिन विशेष फलदायक माना गया। ब्रह्म मुहूर्त और सिद्धि योग में स्नान और दान करने से पुण्यफल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

गंगा दशहरा पर हरिद्वार में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि मां गंगा के प्रति श्रद्धा आज भी भारतीय जनमानस में उतनी ही गहरी है। यह पर्व केवल स्नान का नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, दान और धर्म के पालन का एक जीवंत उदाहरण है।

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