
छपरा: समाज में बेटियों को बोझ समझने की सोच रखने वालों को छपरा के कमल सिंह की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। गरीबी और संघर्ष के बावजूद इस पिता ने अपनी सातों बेटियों को पढ़ाया-लिखाया और आज वे वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रही हैं। जिन लोगों ने कभी बेटियों के जन्म पर ताने दिए थे, वही आज उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
बेटियों को पढ़ाने के लिए किया संघर्ष
कमल सिंह के परिवार में कुल नौ संतानें थीं, जिनमें से एक अब इस दुनिया में नहीं है। उनकी सात बेटियां और एक बेटा है। कभी बेटियों के जन्म पर ताने सुनने वाले इस पिता ने हार नहीं मानी। रात में 11 बजे तक बेटियों को पढ़ाया और सुबह 4 बजे उठाकर मैदान में दौड़ाया। उनकी मेहनत रंग लाई और आज सातों बहनें सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं।
सातों बहनें सरकारी सेवा में
कमल सिंह के घर के बाहर “सिंह सिस्टर पैलेस” नाम की नेमप्लेट लगी है, जो उनकी बेटियों की सफलता को दर्शाती है। 1. रानी कुमारी सिंह – बिहार पुलिस 2. रेणु कुमारी सिंह – एसएसबी 3. सोनी कुमारी सिंह – सीआरपीएफ 4. प्रीति सिंह – क्राइम ब्रांच 5. कुमारी पिंकी सिंह – एक्साइज पुलिस 6. कुमारी रिंकी सिंह – बिहार पुलिस 7. नन्ही सिंह – जीआरपी
पिता को बेटियों पर गर्व
कमल सिंह कहते हैं, “मुझे मेरी सातों बेटियां इस जन्म में ही नहीं, हर जन्म में मिलें।” कभी जो लोग ताने मारते थे, वे आज बेटियों की सफलता को देख उनकी तारीफ करते नहीं थकते।
बेटियों का पिता को खास गिफ्ट
बेटियों ने अपनी मेहनत से एक चार मंजिला इमारत बनवाकर पिता को उपहार में दी। उन्होंने कहा, “यह आपके लिए पेंशन की तरह है, ताकि जब हम अपने-अपने ससुराल चले जाएं तो आपको किसी चीज की कमी न हो।”
भाई को भी बहनों का भरपूर साथ
कमल सिंह के बेटे राजीव सिंह राजपूत, जो दिल्ली में बीटेक कर रहे हैं, ने बताया कि पहले लोग कहते थे कि संपत्ति पर बहनों का अधिकार होगा, लेकिन आज वही बहनें उन्हें हर चीज में आगे रखती हैं और कभी किसी चीज की कमी नहीं होने देतीं।
संघर्ष के दिनों की यादें
कमल सिंह ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्होंने आटा चक्की और गाय पालन के जरिए बेटियों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाया। आज भी वे आटा चक्की चलाते हैं, हालांकि बेटियों ने कई बार इसे बंद करने की सलाह दी, लेकिन वे कहते हैं, “इसी चक्की की वजह से मैंने तुम सबको पढ़ाया, इसे बंद मत करने को कहो।”
होली पर इकट्ठा होगा पूरा परिवार
फिलहाल सभी बेटियां अपने-अपने ड्यूटी पर हैं और बेटा दिल्ली में है। लेकिन अगर सभी को छुट्टी मिली तो पूरा परिवार होली पर एक साथ इकट्ठा होगा।
मां की खुशी का ठिकाना नहीं
कमल सिंह की पत्नी श्रद्धा देवी ने अपनी बेटियों की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “छोटी थीं तो बहुत परेशानी होती थी, सबको खिलाना-पिलाना मुश्किल था, लेकिन भगवान की कृपा से सभी अपने मुकाम पर पहुंच गई हैं। यह देखकर बहुत अच्छा लगता है।”
प्रेरणा बनीं ‘सिंह सिस्टर्स’
छपरा के सिंह परिवार की यह कहानी समाज में बेटियों को लेकर बनी नकारात्मक सोच को बदलने की सीख देती है। बेटियां सिर्फ घर का बोझ नहीं, बल्कि परिवार और देश का गर्व भी बन सकती हैं। कमल सिंह का संघर्ष और उनकी बेटियों की सफलता हर माता-पिता और बेटियों के लिए प्रेरणादायक है।