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उत्तराखंड में मौसम बदलेगा रुख, 11 जून से बारिश का दौर शुरू, प्रशासन ने श्रीलंका टापू में की खास तैयारियां

Weather will change in Uttarakhand, rainy season will start from 11th June, administration has made special preparations in Sri Lanka island

उत्तराखंड में अगले कुछ दिनों में मौसम में बड़ा बदलाव आने वाला है। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में 10 जून तक शुष्क मौसम रहेगा, लेकिन 11 जून से फिर से बारिश शुरू हो जाएगी, जो 14 जून तक जारी रहने की संभावना है। इस दौरान गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

कई जिलों में होगी भारी बारिश की संभावना

बारिश का सबसे अधिक असर गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के कई जिलों में दिखेगा। गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पौड़ी गढ़वाल जिलों में 11 जून से बारिश के आसार हैं। कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों में भी वर्षा होने की संभावना है। इसके अलावा, हरिद्वार जिले में भी मानसून के दौरान बारिश की संभावना जताई गई है।

चारधाम यात्रा पर मौसम का असर

उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा पर भी इस मौसम का असर देखने को मिलेगा। पिछले कुछ दिनों में तापमान में बढ़ोतरी आई है, जिससे यात्रियों को सतर्क रहने की जरूरत है। यमुनोत्री धाम में अधिकतम तापमान 12°C और न्यूनतम 0°C, गंगोत्री में 17°C से 6°C, केदारनाथ में दिन का तापमान 14°C और रात का 2°C तथा बदरीनाथ में अधिकतम 9°C और न्यूनतम 1°C दर्ज किया गया है। प्रशासन ने यात्रियों को तापमान में बदलाव को ध्यान में रखकर यात्रा योजना बनाने की सलाह दी है।

श्रीलंका टापू में प्रशासन की विशेष तैयारियां

मानसून से पहले नैनीताल जिला प्रशासन ने लालकुआं तहसील के श्रीलंका टापू में विशेष तैयारियां की हैं। यह गांव मानसून के दौरान तीन महीने तक जिला मुख्यालय से कट जाता है। प्रशासन ने यहां के करीब 115 परिवारों को तीन महीने के लिए राशन, दवाइयां और आवश्यक सामग्री मुहैया कराई है।

स्वास्थ्य शिविर और अस्थायी हेलीपैड की व्यवस्था

एसडीएम राहुल साह ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है, जहां स्थानीय लोगों की जांच और जरूरी दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही, एक अस्थायी हेलीपैड भी बनाया गया है ताकि आपात स्थिति में मरीजों को जल्दी निकाला जा सके। गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगियों को पहले से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना भी बनाई गई है।

श्रीलंका टापू की विषम परिस्थितियां

श्रीलंका टापू गौला नदी के कटाव के कारण 1990 के दशक में बिंदुखत्ता से अलग हो गया था। यहां सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बरसात के दौरान नदी का जलस्तर बढ़ने से गांव का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है।

उत्तराखंड प्रशासन की सतर्कता और तैयारी

मौसम की इस बदलती स्थिति और प्रशासन की सतर्कता से स्पष्ट है कि उत्तराखंड राज्य मानसून के दौरान होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। ग्रामीण इलाकों में की गई ये तैयारियां राज्य सरकार की गंभीरता और दूरदर्शिता का परिचायक हैं।

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