उत्तराखंड

Kanwar Yatra 2025: हरिद्वार पुलिस की डिजिटल पहल, श्रद्धालुओं को QR कोड से मिलेगी सभी सुविधाओं की जानकारी

Digital initiative of Haridwar Police, devotees will get information about all the facilities through QR code

हरिद्वार: आगामी कांवड़ यात्रा 2025 को सुगम, सुरक्षित और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए हरिद्वार पुलिस ने एक अहम कदम उठाया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस प्रशासन ने इस बार QR कोड सिस्टम को लागू किया है। यह व्यवस्था कांवड़ियों को मेला क्षेत्र, ट्रैफिक व्यवस्था और आपातकालीन सेवाओं से संबंधित सभी जानकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएगी।

हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) परमेंद्र डोभाल ने जानकारी दी कि कांवड़ मेले में आने वाले श्रद्धालु अपने मोबाइल फोन से इस QR कोड को स्कैन करके जरूरी जानकारियों तक सरलता से पहुंच सकेंगे। इस कोड के जरिए उन्हें ट्रैफिक प्लान, पार्किंग स्थल, मेला क्षेत्र का नक्शा, होटल्स की लोकेशन, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और इमरजेंसी नंबर जैसी महत्वपूर्ण सूचनाएं एक ही जगह मिलेंगी।

बॉर्डर प्वाइंट्स और अन्य जिलों में भी होगा वितरण

यह QR कोड हरिद्वार के प्रवेश द्वारों, यानी सभी बॉर्डर प्वाइंट्स पर श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, हरिद्वार से सटे देहरादून, रुड़की, मुजफ्फरनगर, बिजनौर जैसे जिलों में भी इस सुविधा को प्रचारित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचने से पहले ही पूरी यात्रा की योजना बना सकें और अनावश्यक असुविधा से बचें।

एसएसपी डोभाल ने बताया कि इस तकनीकी पहल के जरिए डिजिटल इंडिया मिशन को भी बढ़ावा मिलेगा। QR कोड को स्कैन करने पर न केवल मार्गदर्शन मिलेगा, बल्कि यदि किसी यात्री को आपात स्थिति में सहायता की आवश्यकता हो, तो वह संबंधित हेल्पलाइन नंबर पर तुरंत संपर्क कर सकेगा।

सुगम और सुरक्षित यात्रा की ओर एक कदम

हर साल लाखों श्रद्धालु हरिद्वार कांवड़ यात्रा के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक प्रबंधन और आपातकालीन सहायता बड़ी चुनौती होती है। इस बार पुलिस प्रशासन की यह डिजिटल पहल यात्रा को सुरक्षित, व्यवस्थित और श्रद्धालु केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

कांवड़ यात्रा 2025 के लिए हरिद्वार पुलिस द्वारा शुरू किया गया QR कोड सिस्टम न केवल एक नवीन पहल है, बल्कि श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम भी है। उम्मीद की जा रही है कि यह तकनीक आने वाले समय में धार्मिक आयोजनों के संचालन में एक मॉडल के रूप में स्थापित होगी।

 

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