उत्तराखंड

उत्तराखंड में ऑपरेशन ‘कालनेमि’ को मिला विस्तार, फर्जी बाबाओं और धर्मांतरण पर कसा शिकंजा

Operation 'Kalanemi' gets expanded in Uttarakhand, crackdown on fake babas and religious conversions tightened

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में धर्म और आस्था की आड़ में लोगों को ठगने वाले फर्जी बाबाओं और भेष बदलकर अपराध करने वालों पर कड़ा रुख अपनाते हुए ऑपरेशन ‘कालनेमि’ को और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब इस अभियान की निगरानी पुलिस मुख्यालय स्तर पर एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) करेगी। इस टीम का गठन राज्य में इस अभियान को अधिक सटीक और सघन तरीके से संचालित करने के लिए किया जा रहा है।

तीन हजार से अधिक फर्जी साधु चिह्नित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू किए गए ऑपरेशन ‘कालनेमि’ के तहत अब तक प्रदेशभर में करीब 3,000 से अधिक फर्जी साधु-संतों और संदेहास्पद तत्वों पर कार्रवाई की जा चुकी है। ये सभी लोग जनता की धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग कर, धोखाधड़ी और ठगी में लिप्त पाए गए। सीएम धामी ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए ऐसे लोगों पर कड़ी कार्यवाही आवश्यक है।

धर्मांतरण पर भी सरकार का सख्त रुख

सचिवालय में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण कानून को और अधिक कठोर बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए किसी भी प्रकार के जनसंख्या परिवर्तन की कोशिशों को सख्ती से रोका जाए।

ऑपरेशन में सामने आए कई चौंकाने वाले मामले

इस अभियान के दौरान पुलिस को कई ऐसे मामले मिले, जिनमें अन्य धर्मों के लोग हिंदू साधु का रूप धारण कर लोगों को गुमराह कर रहे थे। कुछ स्थानों पर बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे बांग्लादेशी नागरिक भी पकड़े गए हैं, जो धर्म की आड़ में खुद को छिपाए हुए थे। पुलिस ने ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई की है।

समाजिक दृष्टिकोण से भी अहम रहा ऑपरेशन

ऑपरेशन ‘कालनेमि’ की एक सकारात्मक पहल यह भी रही कि पुलिस ने उन लोगों की पहचान की, जो किसी कारणवश अपने परिजनों से बिछड़ गए थे और साधु का रूप धर जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्हें फिर से उनके परिवारों से मिलवाया गया, जिससे अभियान का मानवीय पक्ष भी सामने आया।

 

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