उत्तराखंड

चमोली नंदानगर आपदा, तीसरे दिन भी जारी रेस्क्यू, सीएम धामी ने प्रभावितों को दिलाया हरसंभव मदद का भरोसा

Chamoli Nandanagar disaster: Rescue operations continue on third day, CM Dhami assures all possible help to affected people

देहरादून: चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में अतिवृष्टि से आई आपदा का आज तीसरा दिन है, और बचाव कार्य अभी भी युद्धस्तर पर जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को हालात का जायजा लेने कुरुड़ हेलीपैड पहुंचे, जहां चमोली डीएम ने उन्हें विस्तृत जानकारी दी। इसके बाद सीएम धामी सीधे आपदा प्रभावित इलाकों में पहुंचे और वहां चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति देखी। उन्होंने मौके पर मौजूद बचाव दलों से बातचीत की और प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

राहत और पुनर्वास कार्य तेज करने के निर्देश

सीएम धामी ने नंदानगर पहुंचकर पीड़ितों को ढांढस बंधाया और कहा कि राज्य सरकार हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि राहत एवं पुनर्वास कार्यों में किसी प्रकार की देरी न हो। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, पेयजल, बिजली और नेटवर्क सेवाओं को जल्द बहाल किया जाए ताकि लोगों को और परेशानी न हो। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और मुआवजे की प्रक्रिया तेजी से शुरू करने के निर्देश दिए।

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें

आपदा प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस, फायर सर्विस और ग्रामीणों की मदद से बड़े पैमाने पर सर्च और रेस्क्यू अभियान चल रहा है। कुंतरी लगा फाली और धुर्मा गांव में विशेष रूप से गहन सर्चिंग की जा रही है। प्रशासन के अनुसार अब तक मलबे से सात शव निकाले जा चुके हैं, जबकि दो लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। अभी भी कुछ लोग लापता हैं, जिनकी तलाश में टीमें लगातार प्रयासरत हैं।

तीन दिन से जारी संकट

यह आपदा 17 सितंबर की रात हुई, जब लगातार भारी बारिश के चलते नंदानगर क्षेत्र के कुंतरी और धुर्मा गांवों में भूस्खलन और मलबा बहने की घटनाएं हुईं। प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, करीब 12 लोग मलबे में दब गए थे। कई घर, गौशालाएं और अन्य भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। प्रशासन के मुताबिक 27 से 30 मकानों और गौशालाओं को नुकसान पहुंचा है।

स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था

सीएम धामी ने प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी आश्रय, भोजन, स्वच्छ पेयजल और चिकित्सकीय सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि घायलों को बेहतर इलाज और राहत सामग्री समय पर मिलनी चाहिए। इसके लिए पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया।

मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि आपदा के पहले ही दिन से राज्य सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और राहत कार्यों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़ितों के पुनर्वास और मुआवजे की पूरी जिम्मेदारी लेगी।

नंदानगर आपदा ने एक बार फिर उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्रों की संवेदनशीलता को उजागर किया है। बावजूद इसके, प्रशासन, बचाव दलों और स्थानीय लोगों के सामूहिक प्रयास से राहत और बचाव कार्य लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

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