
रामनगर: सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) के चेयरमैन सिद्धांत दास रामनगर पहुंचे, जहां उन्होंने वन्यजीव संरक्षण, मैन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट और बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिए। उन्होंने कहा कि बाघों की संख्या उनके प्राकृतिक आवास (हैबिटेट) की गुणवत्ता पर निर्भर करती है, और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व इसका बेहतरीन उदाहरण है। साथ ही, उन्होंने पाखरो से जुड़े मामलों की जांच से इनकार नहीं किया।
पाखरो जांच को लेकर खुली संभावना
CEC चेयरमैन सिद्धांत दास ने अपनी यात्रा को आधिकारिक कार्यों से जुड़ा बताया, लेकिन जब पाखरो से जुड़े मामलों की जांच पर सवाल किया गया तो उन्होंने इससे स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है।
बाघों की संख्या पर बड़ा बयान
सिद्धांत दास ने बताया कि बाघ एक टेरिटोरियल एनिमल है, जिसका निवास क्षेत्र शिकार की उपलब्धता पर निर्भर करता है। आमतौर पर एक बाघ 500 हिरणों वाले क्षेत्र में रहता है, जिससे साबित होता है कि यहां के जंगल जैव विविधता के लिहाज से बेहद समृद्ध हैं। उन्होंने कहा कि कॉर्बेट जैसे संरक्षित क्षेत्रों में वन विभाग के प्रयासों के चलते बाघों और अन्य वन्यजीवों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
मैन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट पर चिंता
वन्यजीवों और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष पर CEC चेयरमैन ने कहा कि जंगलों के आसपास बढ़ती मानव बस्तियां, अवैध घुसपैठ और जंगलों में कम होते संसाधन इस समस्या को गंभीर बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग इस संघर्ष को कम करने के लिए नई रणनीतियों पर काम कर रहा है।
वन्यजीव संरक्षण पर जोर
सिद्धांत दास ने कहा कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सरकार और वन विभाग मिलकर प्रभावी योजनाएं बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों की भागीदारी भी इसमें बेहद जरूरी है, ताकि वे वन्यजीवों की सुरक्षा और जंगलों के महत्व को समझ सकें।
CEC क्या है?
सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति है, जो पर्यावरण मंजूरी से संबंधित मामलों की निगरानी और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुपालन को सुनिश्चित करती है। सिद्धांत दास वर्तमान में CEC के चेयरमैन हैं और उन्होंने इस दौरे में वन्यजीव संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
CEC चेयरमैन सिद्धांत दास का यह दौरा वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। उनकी टिप्पणी से यह साफ है कि सरकार और वन विभाग संरक्षित क्षेत्रों को बेहतर बनाने और वन्यजीवों के आवास को सुरक्षित रखने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।