
देहरादून: उत्तराखंड में उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर सरकार और उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बीच सोमवार को शासन स्तर पर अहम वार्ता हुई। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत समान कार्य के लिए समान वेतन और नियमितीकरण की मांग कर रहे उपनल कर्मियों को शासन ने नियमावली तैयार कर जल्द सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिया है।
आंदोलन और वार्ता का क्रम
- उपनल कर्मचारी लंबे समय से चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं।
- 11 नवंबर को महाआक्रोश रैली के बाद 25 नवंबर को शासन स्तर पर वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया।
- इस वार्ता में सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, संयुक्त सचिव सुनील सिंह, और एमडी उपनल ने कर्मचारियों से सकारात्मक संवाद किया।
आश्वासन और उम्मीदें
शासन ने उपनल कर्मियों को भरोसा दिलाया कि नियमितीकरण प्रक्रिया के दौरान सभी कर्मचारी अपनी मौजूदा स्थिति में बने रहेंगे। उपनल मोर्चा के संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि सरकार द्वारा बनाई जा रही नियमावली से कर्मचारियों के भविष्य को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटीशन का मुद्दा
सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर किए जाने को लेकर उपनल कर्मचारियों ने विरोध तो नहीं जताया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी है।
गोदियाल ने कहा, “यह हर वादी का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटीशन को खारिज करेगा। सरकार चाहे जितनी भी याचिकाएं दायर करे, इससे हमारे अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।”
सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने का दबाव
कर्मचारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कानूनी और तार्किक है, जिसे सरकार को स्वीकार करना होगा। संगठन ने दोहराया कि वह हर स्तर पर सरकार के साथ बातचीत और समाधान के लिए तैयार है, लेकिन नियमितीकरण की मांग पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
आगे का रास्ता
सरकार और उपनल कर्मचारियों के बीच हुई इस वार्ता से नियमितीकरण की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे सरकार के हर कदम पर नजर बनाए रखेंगे और आवश्यकता पड़ने पर अपने आंदोलन को तेज करेंगे।