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देहरादून में धूमधाम से मनाई गई बाबा साहब अंबेडकर की 134वीं जयंती

Baba Saheb Ambedkar's 134th birth anniversary was celebrated with great pomp in Dehradun

देहरादून, 14 अप्रैल – संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती पर उत्तराखंड में श्रद्धा और सम्मान के साथ विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राजधानी देहरादून समेत मसूरी और अन्य क्षेत्रों में जगह-जगह उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गोष्ठियों और कार्यशालाओं के माध्यम से उनके विचारों और योगदान को याद किया गया।

कांग्रेस मुख्यालय में गोष्ठी, भाजपा पर निशाना

देहरादून स्थित कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में डॉ. अंबेडकर की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गणेश गोदियाल ने बाबा साहब को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी अंबेडकर का अपमान नहीं किया और न ही पार्टी को भाजपा से किसी प्रमाणपत्र की आवश्यकता है। गोदियाल ने कहा, “बाबा साहब का योगदान पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है।”

एससी-एसटी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल ने कहा कि कांग्रेस “संविधान बचाओ और सौहार्द बढ़ाओ” अभियान के तहत पूरे देश में अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें संविधान को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं, जिनका कांग्रेस डटकर विरोध कर रही है।

मसूरी में साझा मंच पर नेता, हुआ सम्मान समारोह

मसूरी के अंबेडकर चौक पर भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी समेत कई जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके विचारों पर चलने का आह्वान किया।

विभूतियों और छात्रों को किया गया सम्मानित

इस मौके पर प्रदेश की 5 जानी-मानी हस्तियों को बाबा साहब अंबेडकर फेलोशिप अवार्ड से नवाजा गया। इनमें पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल, पर्यावरणविद डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी, पशु प्रेमी रमेश चमोली, डॉ. खजान सिंह चौहान, और डॉ. अरविंद राणा शामिल रहे।

इसके अलावा 25 होनहार छात्रों को राधेश्याम सोनकर स्मृति छात्रवृत्ति और 40 पर्यावरण मित्रों को शकुंतला सोनकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।

समाज सुधारक को श्रद्धांजलि के साथ नई पीढ़ी को संदेश

बाबा साहब की जयंती केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बनी। कार्यक्रमों ने यह संदेश दिया कि आज के दौर में अंबेडकर के विचार और संविधान की मूल आत्मा को बचाने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।

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