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भारतीय बाजार में गिरावट जारी, निवेशकों में बढ़ी चिंता

Indian market continues to decline, investors worried

भारतीय शेयर बाजार हाल के महीनों में लगातार गिरावट का सामना कर रहा है, जिससे निवेशक घबराए हुए हैं और नए निवेश करने से बच रहे हैं। 2024 की शुरुआत में नए शिखर छूने वाले शेयर अब गंभीर दबाव में हैं और लगातार गिर रहे हैं।

इतिहास से सबक: यह सबसे गंभीर गिरावट नहीं

हालांकि बाजार अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 20% तक गिर चुका है, लेकिन यह पिछले तीन दशकों में सबसे खराब गिरावट नहीं है। भारतीय बाजारों ने इससे भी बड़े संकटों का सामना किया है, जिनमें आर्थिक मंदी, राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक वित्तीय संकट शामिल हैं। पिछले 30 वर्षों में निफ्टी, सेंसेक्स और निफ्टी 500 ने आठ बार बड़े सुधारों का सामना किया है, जबकि 22 वर्षों में बाजार ने मजबूती दिखाई है।

2008 की सबसे भयानक गिरावट

2008 में अमेरिकी बैंकिंग दिग्गज लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद भारतीय बाजार ने सबसे खराब गिरावट देखी थी। विदेशी निवेशकों ने भारत से भारी मात्रा में पूंजी निकाली, जिससे सेंसेक्स, निफ्टी और निफ्टी 500 अपने शिखर से 60% तक गिर गए

तेजी से रिकवरी की मिसालें

बाजार ने समय-समय पर रिकवरी की अपनी क्षमता साबित की है। 2008 के वित्तीय संकट के बाद, 2010 तक भारतीय इक्विटी बाजार ने रिकॉर्ड तोड़ उछाल दर्ज किया। इसी तरह, 2013 के टेपर टैंट्रम, 2016 के विमुद्रीकरण और 2020 के कोविड-19 संकट के बाद भी बाजार ने एक साल से भी कम समय में रिकवरी की।

फिलहाल बाजार में गिरावट के कारण

अभी की गिरावट का मुख्य कारण कॉर्पोरेट आय में गिरावट, ऊंचे मूल्यांकन, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और अमेरिकी नीतियों में बदलाव माना जा रहा है। ट्रंप प्रशासन की आक्रामक व्यापार नीतियां और फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति भी निवेशकों की चिंता बढ़ा रही हैं।

बिकवाली में छिपा अवसर

बाजार में गिरावट के बावजूद कई ब्रोकरेज फर्म इसे निवेश का अवसर मान रही हैं। जेफरीज का कहना है कि भारतीय इक्विटी अब अपने दीर्घकालिक औसत मूल्यांकन के करीब है, जिससे अल्पकालिक उछाल की संभावना बढ़ रही है। वहीं, सिटीग्रुप ने निफ्टी का लक्ष्य 26,000 रखा है और एमके ग्लोबल को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 भारतीय बाजार के लिए बेहतर हो सकता है

भारतीय शेयर बाजार की मौजूदा गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन इतिहास बताता है कि यह एक अस्थायी सुधार हो सकता है और बाजार फिर से मजबूती से उभर सकता है।

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