उत्तराखंड

रामनगर के किशनपुर पड़ाव गांव ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान, राजस्व ग्राम की मांग को लेकर भड़के ग्रामीण

Kishanpur Padav village of Ramnagar announced boycott of elections, villagers got angry over the demand of revenue village

रामनगर (नैनीताल): उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र से महज चार किलोमीटर की दूरी पर बसे किशनपुर पड़ाव गांव के ग्रामीणों ने वर्षों की उपेक्षा से आहत होकर अब बड़ा कदम उठाने का ऐलान किया है। मंगलवार, 15 जुलाई को आयोजित एक अहम बैठक में ग्रामीणों ने घोषणा की कि अगर उन्हें जल्द ही राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं दिया गया तो वे लोकसभा और विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

“हम सिर्फ वोट देने के लिए नहीं जीते” – ग्रामीणों का दर्द

बैठक में शामिल ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें अब तक बुनियादी अधिकारों और सरकारी योजनाओं से वंचित रखा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जैसे आसपास के गांवों रामपुर, चोपड़ा और लेटी को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया है, वैसे ही किशनपुर पड़ाव को भी यह हक मिलना चाहिए।

ग्रामीणों ने भावुक होकर कहा, “हम भी इंसान हैं। हम सिर्फ वोट के लिए नहीं, अधिकारों के लिए जीते हैं।” उन्होंने बताया कि गांव में आज भी सड़क, बिजली, पानी, शौचालय और आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। बच्चों की शिक्षा और महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है।

प्रशासन पर भेदभाव का आरोप

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पंचायत चुनाव में वोट देने का अधिकार तक नहीं मिलता, जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उनसे वोट जरूर डलवाए जाते हैं। प्रशासन पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जब भी वे अपने अधिकारों की बात करते हैं, उन्हें जंगल का बाशिंदा कहकर खारिज कर दिया जाता है।

महिलाओं की बड़ी भागीदारी में हुई बैठक में साफ कहा गया कि वे अब आश्वासनों से नहीं बहलेंगी। अगर जल्द ही किशनपुर पड़ाव को राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं दिया गया तो गांव के सभी निवासी आने वाले हर चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

प्रशासन का जवाब

इस मामले पर रामनगर के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) प्रमोद कुमार ने स्पष्ट किया कि किशनपुर पड़ाव वन विभाग की भूमि पर स्थित है और यह वन ग्राम भी नहीं है। ऐसे में इसे सीधे तौर पर राजस्व ग्राम घोषित करना विधिक रूप से संभव नहीं है। एसडीएम ने कहा कि जब तक शासन स्तर से प्रस्ताव नहीं आता और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया जा सकता।

हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर भविष्य में लैंड ट्रांसफर या पुनर्वास से जुड़ा कोई प्रस्ताव शासन से आता है तो प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई करने को तैयार रहेगा।

 

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