उत्तराखंड

उत्तराखंड का पहला कांच वाला बजरंग सेतु बनकर तैयार, जनवरी 2026 तक शुरू हो सकता है आवागमन

Uttarakhand's first glass Bajrang Setu is ready, traffic may start by January 2026.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऋषिकेश क्षेत्र में बन रहा राज्य का पहला कांच वाला बजरंग सेतु अब अंतिम चरण में है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और शेष 10 प्रतिशत तेजी से प्रगति पर है। अधिकारियों के अनुसार, जनवरी 2026 तक इस सेतु पर आम जनता की आवाजाही शुरू होने की संभावना है।

लक्ष्मण झूला का वैकल्पिक मार्ग

सन 1929 में निर्मित ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला के पास बन रहे इस नए 132.30 मीटर स्पान वाले बजरंग सेतु का उद्देश्य यात्रियों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करना है। इस सेतु का निर्माण ₹68.86 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। आधुनिक तकनीक से तैयार किए जा रहे इस पुल की सबसे खास विशेषता इसका पारदर्शी कांच का फर्श है। इससे ना केवल सुरक्षित आवागमन संभव होगा, बल्कि यह पर्यटन की दृष्टि से भी बड़ा आकर्षण बनेगा।

सतपाल महाराज ने किया निरीक्षण

प्रदेश के लोक निर्माण, पर्यटन, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने हाल ही में नरेन्द्रनगर विधानसभा क्षेत्र में इस निर्माणाधीन सेतु का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को समयबद्ध और गुणवत्ता युक्त कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। मंत्री ने बताया कि पुल के दोनों ओर पेंटिंग का कार्य भी तेजी से चल रहा है और यह जनवरी 2026 में जनता के लिए खुल जाएगा।

आस्था पथ और घाट का सौंदर्यीकरण

निरीक्षण के दौरान मंत्री ने SASCI 2024-25 योजना के तहत नरेन्द्रनगर विकासखंड के तपोवन क्षेत्र में सच्चाधाम घाट और उससे जुड़े आस्था पथ के निर्माण कार्यों का भी जायजा लिया। घाट 100 मीटर लंबा और 18 मीटर चौड़ा होगा, जबकि आस्था पथ 300 मीटर लंबा और 7 मीटर चौड़ा बनाया जाएगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाट पर चेन्जिंग रूम, अप्रोच मार्ग, बेंच, रेलिंग और प्रकाश व्यवस्था की भी व्यवस्था की जाएगी।

धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना

बजरंग सेतु उत्तराखंड का पहला कांच वाला पुल होने के कारण यह तीर्थयात्रियों के लिए सुविधा और पर्यटकों के लिए रोमांचक अनुभव प्रदान करेगा। कांच के पारदर्शी फर्श से बहती गंगा नदी का दृश्य पर्यटन आकर्षण को और बढ़ाएगा। सतपाल महाराज ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी कार्य समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरे किए जाएं। बजरंग सेतु और उससे जुड़े घाट व आस्था पथ परियोजनाएं क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए स्थानीय रोजगार और पर्यटन विकास में भी योगदान देंगी।

जनवरी 2026 तक बजरंग सेतु चालू होने के बाद यह परियोजना न केवल ऋषिकेश की पहचान को और मजबूत करेगी, बल्कि तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए नए अनुभव और सुविधा भी लेकर आएगी।

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