उत्तराखंड में 11 राजनीतिक दलों को ECI ने डीलिस्ट किया, दो दलों को नोटिस जारी
ECI delists 11 political parties in Uttarakhand, issues notice to two

देहरादून: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने उत्तराखंड में सक्रियता न दिखाने वाले 11 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को डीलिस्ट कर दिया है। यह कार्रवाई 19 सितंबर, 2025 को की गई, जबकि इससे पहले 9 अगस्त को भी 6 ऐसे दल डीलिस्ट किए गए थे। आयोग ने इसके साथ ही दो दलों—भारतीय सर्वोदय पार्टी और उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी—को नोटिस जारी किया है, जो अपने वित्तीय और चुनावी रिपोर्टिंग दायित्वों का पालन नहीं कर पाए हैं।
डीलिस्ट की वजह
इन 11 दलों ने साल 2019 में हुए लोकसभा और उसके बाद आयोजित विधानसभा व लोकसभा चुनावों में भाग नहीं लिया। ECI के नियमों के अनुसार, पांच साल में एक बार होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की सक्रियता का आंकलन किया जाता है। यदि कोई दल लगातार चुनावों में हिस्सा नहीं लेता और अपने वित्तीय एवं चुनावी दस्तावेज आयोग में जमा नहीं कराता, तो उसे डीलिस्ट किया जाता है।
30 दिन में अंतिम अपील का अवसर
ECI ने डीलिस्ट किए गए 11 दलों को 30 दिन के भीतर अंतिम अपील करने का समय दिया है। वहीं, नोटिस प्राप्त दो दलों को 13 अक्टूबर, 2025 तक अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। आयोग ने यह कदम चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया है।
रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों के लाभ
भारत में राजनीतिक दल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, धारा-29 के तहत रजिस्टर्ड होते हैं। इन दलों को आयोग से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
- आयकर से छूट (धारा 13 के तहत)
- मान्यता और चुनाव प्रतीक का आवंटन
- स्टार प्रचारकों का नामांकन
डीलिस्ट किए गए 11 दल
- भारत कौमी दल, हरिद्वार
- भारत परिवार पार्टी, हरिद्वार
- भारतीय मूल निवासी समाज पार्टी, देहरादून
- भारतीय सम्राट सुभाष सेना, हरिद्वार
- भारतीय अन्त्योदय पार्टी, देहरादून
- भारतीय ग्राम नगर विकास पार्टी, देहरादून
- गोरखा डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, देहरादून
- पीपल्स पार्टी, रुड़की
- प्रजातन्त्र पार्टी ऑफ इंडिया, नैनीताल
- सुराज सेवा दल, हल्द्वानी
- उत्तराखंड जनशक्ति पार्टी, हरिद्वार
ECI का उद्देश्य
ECI की यह कार्रवाई आगामी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की सक्रियता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की गई है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि डीलिस्ट किए गए दलों को यदि आवश्यक कार्रवाई और रिपोर्टिंग नहीं करनी होती है, तो उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार नहीं मिलेगा।
इस कदम से उत्तराखंड में राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी और चुनाव प्रक्रिया में नियमों के पालन को मजबूती मिलेगी।