चार धाम यात्रा 2025: तिथि, पंजीकरण प्रक्रिया और दर्शनीय स्थल
Char Dham Yatra 2025: Date, Registration Process and Places to Visit

महाकुंभ के बाद चार धाम यात्रा की तैयारी शुरू
महाकुंभ मेला 2025 के समापन के बाद अब उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की तैयारियां तेज हो गई हैं। चार धाम यात्रा को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यह यात्रा उत्तराखंड के यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के पवित्र स्थलों की होती है। भक्त मानते हैं कि इस यात्रा से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन धामों के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
चार धाम यात्रा के प्रमुख स्थल
चार धाम यात्रा में उत्तराखंड के चार धार्मिक स्थलों की यात्रा की जाती है।
यमुनोत्री धाम
यमुनोत्री धाम चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यह यमुना नदी का उद्गम स्थल है और समुद्र तल से 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
दर्शनीय स्थल:
- रैथल
- बार्सू
- हनुमान चट्टी
- जानकी चट्टी
गंगोत्री धाम
गंगोत्री धाम गंगा नदी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह तीर्थस्थल 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
दर्शनीय स्थल:
- भागीरथी हिल्स
- डोडी ताल
- गंगोत्री मंदिर
- गोमुख तपोवन ट्रेक
केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के किनारे 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
दर्शनीय स्थल:
- गांधी सरोवर
- गौरीकुंड
- वासुकी ताल
- भैरवनाथ मंदिर
बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है और चार धाम यात्रा का अंतिम पड़ाव है। यह धाम अलकनंदा नदी के किनारे 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
दर्शनीय स्थल:
- वसुधारा जलप्रपात
- नारद कुंड
- सतोपंत ट्रेक
- फूलों की घाटी
चार धाम यात्रा की तिथियां
चार धाम यात्रा की तिथियां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर घोषित की जाती हैं। इस वर्ष यात्रा निम्नलिखित तिथियों से शुरू होगी:
- गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन खुलेंगे।
- केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को सुबह 7 बजे खुलेंगे।
- बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे।
यात्रा के लिए अनुकूल समय
चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के महीनों को माना जाता है। इस दौरान मौसम साफ रहता है और यात्रा में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती।
जुलाई और अगस्त में बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ का खतरा रहता है, जिससे यात्रा बाधित हो सकती है।
नवंबर से अप्रैल के बीच मंदिर भारी बर्फबारी के कारण बंद रहते हैं।
पंजीकरण प्रक्रिया
चार धाम यात्रा में भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं को पहले से पंजीकरण कराना आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
- आधार कार्ड या कोई अन्य पहचान पत्र
- हालिया फोटोग्राफ
- मेडिकल प्रमाण पत्र
ऑनलाइन पंजीकरण
श्रद्धालु उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट या चार धाम यात्रा पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण के समय आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होते हैं।
ऑन-साइट पंजीकरण
ऑनलाइन पंजीकरण में असमर्थ यात्रियों के लिए ऑन-साइट पंजीकरण की सुविधा भी उपलब्ध है। यह सुविधा हरिद्वार, ऋषिकेश और यात्रा के अन्य प्रारंभिक पड़ावों पर प्रदान की जाती है।
यात्रा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- यात्रा पर जाने से पहले स्वास्थ्य जांच कराना अनिवार्य है।
- पर्याप्त गर्म कपड़े और दवाइयां साथ ले जाएं।
- पंजीकरण के दौरान मिली सभी रसीदों और परमिट की प्रतियां अपने पास रखें।
- प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए यात्रा के मौसम का पूर्वानुमान जान लें।
पर्यावरण संरक्षण की पहल
चार धाम यात्रा के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न पहल की जा रही हैं। यात्री प्लास्टिक का उपयोग कम करें और अपने कचरे को सही स्थान पर डालें। सरकार ने भी प्लास्टिक मुक्त यात्रा की दिशा में कदम उठाए हैं।
निष्कर्ष
चार धाम यात्रा धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है। यह यात्रा केवल आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि हिमालय की खूबसूरत वादियों में एक अविस्मरणीय अनुभव भी प्रदान करती है। श्रद्धालुओं को समय रहते पंजीकरण कराना चाहिए और सभी नियमों का पालन करना चाहिए।