
उत्तराखंड की मुख्य सचिव, श्रीमती राधा रतूड़ी ने राज्य के विभिन्न विभागों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि प्रस्तावित और जारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर मूल्यांकन और तुलना के बाद ही मंत्रिमंडल के विचारार्थ प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने विभागों से समान प्रकृति की योजनाओं को एकीकृत कर समरूपीकरण की प्रक्रिया को अपनाने का आग्रह किया है, ताकि राज्य के वित्तीय संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके। श्रीमती रतूड़ी ने निर्देशित किया कि प्रस्तावित योजनाओं में अन्य विभागों की समान योजनाओं का परीक्षण आवश्यक है, ताकि विभागीय योजनाओं में दोहराव को रोका जा सके और वित्तीय अनुशासन बना रहे।
मुख्य सचिव ने नए प्रोजेक्ट्स के वित्तीय प्रबंधन और अनुशासन के महत्व पर जोर दिया और विभागीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने का आग्रह किया ताकि अनावश्यक देरी और लागत वृद्धि से बचा जा सके। विभागों के बीच आपसी समन्वय के अभाव के कारण होने वाले ‘टाइम और कॉस्ट ओवररन्स’ को नियंत्रित करने के लिए यह निर्देश जारी किया गया है।
साथ ही, मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग को रोड कटिंग के लिए स्पष्ट मानक तैयार करने का निर्देश दिया, जिससे सड़क का बार-बार क्षतिग्रस्त होने की समस्या का हल निकाला जा सके। उन्होंने जिलाधिकारियों से पूर्व अनुमति के बिना किसी भी विभाग द्वारा सड़क में खुदाई करने पर भी रोक लगाने के निर्देश दिए हैं, जिससे अनावश्यक व्यवधान रोका जा सके।
मुख्य सचिव के आदेश में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बिना समुचित मूल्यांकन के मंत्रिमंडल की बैठक में योजना या परियोजनाओं के प्रस्ताव भेजने से विभागीय उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाती। इस दृष्टि से सभी संबंधित अधिकारियों को शीघ्र आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि योजनाओं का समुचित और सफल क्रियान्वयन हो सके।