
देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक केवल दसवीं पास है, लेकिन वह साइबर अपराधियों का ट्रेनर रह चुका है। ये आरोपी अन्य ठगों को फर्जी व्यावसायिक खाते उपलब्ध कराते थे, जिनमें करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है।
क्रिप्टो करेंसी के जरिए होती थी ठगी
गिरोह का लेनदेन क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से किया जाता था। जांच में सामने आया कि गिरफ्तार आरोपियों के डिजिटल वॉलेट में लाखों रुपये की क्रिप्टो करेंसी मौजूद है। ये ठग भारत और अन्य देशों में साइबर अपराधों के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराते थे और हर ट्रांजेक्शन पर कमीशन लेते थे।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
मार्च में भारत सरकार ने दक्षिण एशिया में साइबर अपराध नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई की थी। इसी कड़ी में एसटीएफ उत्तराखंड ने जांच शुरू की और रायपुर थाना क्षेत्र में एक ऑपरेशन चलाकर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम:
- हरजिंदर सिंह
- संदीप सिंह
आरोपियों के पास से बरामद सामान
एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 1 लैपटॉप, 7 मोबाइल, 1 पासपोर्ट, 2 चेकबुक, 3 डेबिट कार्ड, 2 पैन कार्ड, 1 पासबुक और 4 एसबीआई बैंक फॉर्म बरामद किए हैं।
कैसे देते थे ठगी को अंजाम?
आरोपियों ने टेलीग्राम के माध्यम से साइबर ठगों से संपर्क किया और फर्जी कंपनियों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए।
खाते खुलवाने के बाद ये लोग चेकबुक, पासबुक, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग की डिटेल्स अपने पास रखते थे और इन्हें साइबर ठगों को उपलब्ध कराते थे।
एक ऐप के जरिए इन खातों को लिंक किया जाता था और मैसेज फॉरवर्ड एप के जरिए ओटीपी ट्रांसफर कर दिया जाता था। इसके बाद ये अकाउंट भारत और अन्य देशों में ऑनलाइन ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।
साइबर ठगों का इंटरनेशनल ट्रेनर निकला आरोपी
गिरफ्तार संदीप सिंह फ्लैग कॉरपोरेट अकाउंट खुलवाने का एक्सपर्ट है। 2024 में इसे मलेशिया बुलाया गया था, जहां इसने साइबर अपराधियों को ट्रेनिंग दी थी।
एक साल में 1.20 करोड़ रुपये की ठगी
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे पिछले एक साल में 1.20 करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं, जिसमें से 25 लाख रुपये केवल मार्च 2025 में कमाए थे।
आगे की जांच जारी
एसटीएफ अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है। साथ ही, हवाला ट्रेडिंग और अवैध क्रिप्टो लेनदेन की जांच की जा रही है।