उत्तराखंड

टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास तमसा नदी का उफान, भारी तबाही का मंजर

Tamsa river overflows near Tapkeshwar Mahadev temple, causing massive destruction

देहरादून: उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने राजधानी और आसपास के इलाकों में तबाही का माहौल बना दिया है। सहस्त्रधारा, मालदेवता और टपकेश्वर महादेव मंदिर सहित कई क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है। सड़कों, मकानों और पुलों का ढांचा क्षतिग्रस्त हो गया है, जबकि नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। सबसे गंभीर हालात टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास देखने को मिले, जहां पहाड़ों से आए मलबे और बाढ़ का पानी मंदिर परिसर तक पहुंच गया।

6000 साल पुराने मंदिर तक पहुंचा मलबा

गढ़ीकैंट क्षेत्र में स्थित प्राचीन टपकेश्वर महादेव मंदिर पर इस बार बारिश ने अभूतपूर्व संकट ला दिया। मालदेवता क्षेत्र में बादल फटने के बाद तमसा नदी अचानक उफान पर आ गई। नदी का जलस्तर करीब 30 फीट तक पहुंचने से चारों ओर बने छोटे-छोटे मंदिर और आसपास का ढांचा ध्वस्त हो गया। मंदिर प्रशासन द्वारा हाल ही में स्थापित भगवान शंकर की पीतल की प्रतिमा भी तेज बहाव में बह गई।

श्रद्धालुओं का मार्ग बंद, गुफा में भरा मलबा

सुबह पांच बजे के आसपास नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने पर मंदिर परिसर का पूरा रास्ता मलबे से ढक गया। गुफा में जाने का मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया, जिससे श्रद्धालुओं का प्रवेश असंभव हो गया है। मंदिर के सेवक और महंतों ने बताया कि वे समय रहते पहाड़ी की ओर चढ़कर अपनी जान बचा सके।

महंतों के लिए अभूतपूर्व अनुभव

मंदिर के महंत दिगंबर भरत गीरी महाराज ने कहा कि अपने जीवन में उन्होंने ऐसा भयावह दृश्य पहली बार देखा है। लगातार बारिश और तेज बहाव ने गुफा तक मलबा पहुंचा दिया। हालांकि शिवलिंग पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन चारों ओर का दृश्य विनाशकारी है।

राहत और बचाव कार्य तेज

स्थानीय प्रशासन ने एनडीआरएफ और राज्य आपदा राहत दल को मौके पर तैनात कर दिया है। क्षतिग्रस्त मार्गों को साफ करने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई टीमें लगातार काम कर रही हैं। प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल, बिजली और आवागमन बहाल करने के प्रयास जारी हैं।

धार्मिक और आर्थिक संकट

टपकेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था का भी आधार है। प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान ने श्रद्धालुओं की आवाजाही रोक दी है और आसपास के व्यापारियों के लिए गंभीर आर्थिक चुनौती खड़ी कर दी है।

लगातार बारिश और नदी का रौद्र रूप यह साफ संकेत देता है कि राज्य को भविष्य में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने होंगे। टपकेश्वर मंदिर में पहली बार मलबा घुसना इस आपदा की गंभीरता को उजागर करता है।

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