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सोने का नया इतिहास: पहली बार $4,000 प्रति औंस के पार, लेकिन विशेषज्ञों ने दी गिरावट की चेतावनी

Gold hits new history: crosses $4,000 per ounce for the first time, but experts warn of a fall

इस साल सोने ने दुनिया भर के निवेशकों को हैरान कर दिया है। पहली बार सोने की कीमत $4,000 प्रति औंस के पार पहुंच गई है, जबकि भारत में इसका भाव ₹1.22 लाख प्रति दस ग्राम से ऊपर निकल गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेज़ी लंबी अवधि में स्थायी नहीं हो सकती। शॉर्ट-टर्म में सोने की कीमतों में 5–10% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है — ठीक वैसे ही जैसे 2011, 2020 और 2022 में हुआ था।


मार्जिन प्रेशर और निवेशकों की सेलिंग से बढ़ा जोखिम

Natixis बैंक के गोल्ड एनालिस्ट बर्नार्ड दाहदा ने Kitco News से बातचीत में कहा कि हालिया रैली के बाद सोने के बाजार में मार्जिन बढ़ने और लीवरेज्ड निवेशकों की सेलिंग से अचानक झटका लग सकता है। जैसे ही निवेशकों को पर्याप्त मुनाफा मिलता है, वे प्रॉफिट बुक करने लगते हैं, जिससे फ्यूचर्स मार्केट में सेलिंग प्रेशर बढ़ जाता है। दाहदा का कहना है कि मौजूदा दौर की तेजी उसी पैटर्न पर चल रही है, जैसा पिछले दशक की अस्थिर उछालों में देखा गया था।


अमेरिका के गवर्नमेंट शटडाउन से अस्थिरता

सोने की हालिया मजबूती में अमेरिका के गवर्नमेंट शटडाउन का भी बड़ा असर देखा जा रहा है। फिलहाल निवेशक “सेफ हेवन” एसेट्स जैसे गोल्ड में पैसा डाल रहे हैं, लेकिन जैसे ही अमेरिकी कांग्रेस नया फंडिंग बिल पास करेगी, अनिश्चितता घटने पर निवेशक सोना बेच सकते हैं। इतिहास गवाह है कि 2013 और 2019 के शटडाउन के बाद सोने में 2–3% तक की गिरावट आई थी। इसलिए यदि आने वाले हफ्तों में अमेरिकी राजनीति में स्थिरता लौटती है, तो गोल्ड मार्केट में भी ठंडक आ सकती है।


मांग में कमी से भी घट सकती है कीमतें

Natixis की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल गोल्ड डिमांड का करीब 70% हिस्सा ज्वेलरी और सेंट्रल बैंक की खरीद से आता है। जब सोने की कीमतें अत्यधिक बढ़ जाती हैं, तो आम ग्राहक खरीदारी टाल देते हैं और केंद्रीय बैंक भी अपनी खरीद धीमी कर देते हैं। इससे स्वाभाविक रूप से मांग घटती है, और बाजार में गिरावट का रुख देखने को मिलता है।


लंबी अवधि में गोल्ड रहेगा मजबूत निवेश विकल्प

हालांकि, दीर्घकाल में विशेषज्ञ सोने को लेकर सकारात्मक हैं। उनका अनुमान है कि 2026 तक गोल्ड की फंडामेंटल स्थिति मजबूत बनी रहेगी। इसके पीछे कारण हैं — वैश्विक ब्याज दरों में संभावित गिरावट, डॉलर की कमजोरी और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेशक गोल्ड में SIP या ट्रेंच इनवेस्टमेंट की रणनीति अपनाएं ताकि उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम किया जा सके।

सोने की मौजूदा तेजी निवेशकों के लिए आकर्षक जरूर है, लेकिन बाजार में शॉर्ट-टर्म वोलैटिलिटी से इंकार नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल सोना अपने उच्चतम स्तर पर है, इसलिए निवेशकों को जल्दबाज़ी के बजाय संतुलित रणनीति के साथ कदम बढ़ाना चाहिए।

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