
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित बैठक के दौरान सौंग बांध पेयजल परियोजना और जमरानी बांध परियोजना की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सौंग बांध परियोजना के लिए विस्थापन प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए और प्रभावित परिवारों को उनकी सहमति के आधार पर भूमि उपलब्ध कराई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विस्थापित परिवारों को सभी मूलभूत सुविधाएं जैसे सामुदायिक भवन, मंदिर, सड़क आदि उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रभावित परिवारों से संवाद कर उनकी आवश्यकताओं के अनुसार निर्माण कार्य सुनिश्चित किए जाएं। मुख्यमंत्री ने जमरानी बांध परियोजना पर भी कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।
सौंग बांध परियोजना: पेयजल और बाढ़ सुरक्षा का समाधान
सौंग बांध पेयजल परियोजना देहरादून शहर की लगभग 11 लाख आबादी को प्रतिदिन 150 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति करेगी। यह परियोजना न केवल शहर के भूजल स्तर को सुधारने में मददगार होगी, बल्कि डाउनस्ट्रीम में बसे 10 गांवों की 15 हजार आबादी को बाढ़ से भी सुरक्षा प्रदान करेगी।
परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में जल संकट को कम करना और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।
जमरानी बांध परियोजना पर भी फोकस
बैठक के दौरान जमरानी बांध परियोजना की प्रगति पर भी चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के कार्य में तेजी लाई जाए ताकि राज्य में जल प्रबंधन और सिंचाई सुविधाओं में सुधार हो सके।
विस्थापन प्रक्रिया में सहमति और सुविधाएं प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि विस्थापित परिवारों को उचित पुनर्वास के साथ उनकी सहमति के आधार पर विस्थापित किया जाए। इसके तहत:
- सामुदायिक भवन और मंदिर जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएं।
- सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण तेजी से किया जाए।
- विस्थापन प्रक्रिया पारदर्शिता और मानवता के साथ पूरी की जाए।
बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पांडे, एस.एन. पांडे, डॉ. आर. राजेश कुमार, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर जयपाल सिंह समेत अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में ये परियोजनाएं राज्य के जल प्रबंधन और पेयजल आपूर्ति को नई दिशा देने के साथ ही पर्यावरण और जनसुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करेंगी।