उत्तराखंड

हरेला पर्व 2025: उत्तराखंड में एक ही दिन में रोपे जाएंगे 5 लाख पौधे, बनेगा पर्यावरण संरक्षण का नया रिकॉर्ड

Harela Festival 2025: 5 lakh saplings will be planted in a single day in Uttarakhand, a new record of environmental protection will be created

उत्तराखंड की समृद्ध लोक परंपराओं और प्रकृति से जुड़ी संस्कृति को और मजबूती देने के उद्देश्य से इस वर्ष हरेला पर्व को भव्य रूप में मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार 16 जुलाई को हरेला पर्व के दिन एक दिन में 5 लाख से अधिक पौधे रोपकर नया रिकॉर्ड बनाने जा रही है। इस अभियान को “हरेला मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” और “एक पेड़ माँ के नाम” थीम के तहत प्रदेशभर में संचालित किया जाएगा।

गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में तय हुआ रोपण लक्ष्य

पौधरोपण अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेश को दो मंडलों में बांटते हुए लक्ष्य तय किए गए हैं। गढ़वाल मंडल में 3 लाख और कुमाऊं मंडल में 2 लाख पौधे लगाने की योजना बनाई गई है। प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुंधाशु द्वारा सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इस अभियान की तैयारी सुनिश्चित करें और सभी विभागों की सहभागिता को सक्रिय रूप से जोड़ा जाए।

स्कूली छात्र, ग्रामीण और विभाग होंगे सहभागी

इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि इसमें आम जनता से लेकर स्कूली बच्चों, एनसीसी, एनएसएस के स्वयंसेवकों, विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। सरकार का उद्देश्य केवल पौधे लगाना नहीं, बल्कि जनमानस को पर्यावरण संरक्षण की ओर प्रेरित करना भी है।

प्राकृतिक स्थलों पर होगा पौधरोपण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि पौधरोपण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रदेशवासियों की जिम्मेदारी है। इस अभियान के अंतर्गत पौधे नदियों, गाड़-गदेरे के किनारों, वन क्षेत्रों, स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी परिसरों, पार्कों और आवासीय क्षेत्रों में लगाए जाएंगे। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान से भी जुड़ी हुई है, जो मातृभूमि और मातृप्रकृति के प्रति सम्मान प्रकट करने की भावना को दर्शाती है।

लोक पर्वों को मिल रही है नई पहचान

बीते वर्षों में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में हरेला, फूलदेई, इगास, बटर फेस्टिवल, घी संक्रांत जैसे पारंपरिक पर्वों को सरकार ने राज्यस्तरीय मान्यता दी है। इससे इन लोक पर्वों को न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर में पहचान मिली है। हरेला पर्व भी अब सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जनांदोलन बनता जा रहा है।

इस वर्ष हरेला पर्व के माध्यम से उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण का एक मजबूत संदेश देने जा रहा है। 5 लाख पौधों का एक ही दिन में रोपण न केवल रिकॉर्ड बनाने की पहल है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य की नींव भी है।

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