पंचायत चुनावों ने लौटाई गांवों की रौनक, प्रवासियों की वापसी से बढ़ा उत्साह
Panchayat elections brought back the charm of villages, enthusiasm increased due to return of migrants

उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का पहला चरण पूरे जोश और उल्लास के साथ शुरू हो गया है। इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया के चलते राज्य के गांवों में एक बार फिर चहल-पहल लौट आई है। खास बात यह रही कि लंबे समय से शहरों में बसे प्रवासी मतदाता बड़ी संख्या में अपने पैतृक गांवों की ओर लौटे हैं, जिससे गांवों में उत्सव जैसा माहौल बन गया है।
पर्वतीय गांवों में दिखा मतदान का जोश
उत्तराखंड के कई पर्वतीय गांव लंबे समय से पलायन के कारण सुनसान हो गए थे। लेकिन पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही दिल्ली, मुंबई, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद और देहरादून जैसे शहरों से प्रवासी मतदाताओं की वापसी शुरू हो गई। रामनगर क्षेत्र में सुबह से ही सड़कों पर भारी भीड़ देखने को मिली। करीब 150 से अधिक टैक्सियों और बसों में सवार होकर लोग अपने गांवों की ओर रवाना हुए।
मतदान को बताया सामाजिक जिम्मेदारी
प्रवासी मतदाताओं ने इसे केवल मतदान नहीं, बल्कि सामाजिक कर्तव्य माना। उनका कहना है कि वे भले ही काम के सिलसिले में शहरों में रहते हों, लेकिन उनके गांव और जड़ों से जुड़ाव अब भी बना हुआ है। उनका मानना है कि एक अच्छा प्रतिनिधि गांव के विकास की दिशा तय करता है और इसलिए वोट देना जरूरी है।
स्थानीय बाजारों में भी लौटी चहल-पहल
चुनावी माहौल का असर बाजारों में भी साफ दिखाई दिया। रामनगर सहित अन्य क्षेत्रों के बाजारों में मिठाइयों, फल-सब्जियों और रोजमर्रा की चीजों की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी। कई दुकानों में तो दोपहर से पहले ही सामान खत्म हो गया। भीड़ इतनी अधिक थी कि पार्किंग की जगह भी कम पड़ गई।
गांवों में फिर गूंजा जीवन
पंचायत चुनावों ने गांवों में फिर से जीवन का संचार किया है। पंचायत भवनों, स्कूलों और गलियों में बच्चों की आवाजें, लोगों की बातचीत और सामाजिक गतिविधियां देखने को मिलीं। यह नजारा न सिर्फ राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का संकेत भी देता है।
लोकतंत्र की ताकत फिर साबित
राज्य चुनाव आयोग के अनुसार पहले चरण में कुमाऊं और गढ़वाल के कई इलाकों में मतदान हो रहा है। लाखों मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में प्रवासी भी शामिल हैं। यह साबित करता है कि उत्तराखंड में लोकतंत्र की जड़ें आज भी मजबूत हैं।