उत्तराखंड

चेपडो बाजार तबाह, कई घायल और एक लापता, चमोली में मूसलधार बारिश का कहर

Chepdo market destroyed, several injured and one missing, torrential rain wreaks havoc in Chamoli

चमोली (उत्तराखंड): उत्तराखंड का चमोली जिला भारी बारिश से एक बार फिर आपदा की चपेट में आ गया है। थराली तहसील मुख्यालय से लगभग 5 किमी दूर स्थित चेपडो गांव का बाजार बीती रात बारिश और मलबे से पूरी तरह तबाह हो गया। यहां कई दुकानें, वाहन और मकान मलबे में दब गए, जबकि एक व्यक्ति के लापता होने की खबर है।


चेपडो बाजार पूरी तरह बर्बाद

स्थानीय लोगों के अनुसार, 22 अगस्त की रात करीब 12 बजे पहाड़ी के ऊपर तेज बारिश हुई। देखते ही देखते चेपडो बाजार में मलबे का सैलाब आ गया और सब कुछ बहाकर ले गया। बाजार में मौजूद करीब 20 दुकानें मलबे में समा गईं, जबकि एक दर्जन से अधिक वाहन भी दब गए। ग्रामीणों ने बताया कि यह दृश्य किसी बड़े हादसे से कम नहीं था।


सड़कें टूटीं, राहत कार्य में मुश्किलें

थराली से चेपडो बाजार को जोड़ने वाली सड़कें कई जगहों पर पूरी तरह टूट चुकी हैं। इसके कारण रेस्क्यू टीम को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी समय लगा। सड़क मार्ग बंद होने से सबसे बड़ी चुनौती घायलों को अस्पताल भेजने की रही। प्रशासन ने तुरंत अस्थायी हेलीपैड बनाया, ताकि गंभीर रूप से घायल लोगों को एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स भेजा जा सके।


घायलों को एयरलिफ्ट कर भेजा गया एम्स

आपदा में घायल कुल छह लोगों में से चार को एयर एंबुलेंस की मदद से ऋषिकेश एम्स भेजा जा चुका है। बाकी दो घायलों को भी एयरलिफ्ट कर जल्द एम्स भेजने की तैयारी की जा रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। वहीं, मलबे में दबे एक व्यक्ति की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है।


थराली मुख्य बाजार भी प्रभावित

चेपडो के अलावा थराली तहसील मुख्यालय के बाजार में भी भारी नुकसान हुआ है। यहां कई दुकानों में मलबा भर गया और 4 से 5 वाहन दब गए। आसपास के अन्य इलाकों में भी लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे हैं, जबकि प्रशासन प्रभावित परिवारों को राहत शिविरों में भेज रहा है।


बादल फटा या सामान्य बारिश?

ग्रामीणों का कहना है कि यह बादल फटने की घटना थी, लेकिन मौसम विभाग इससे सहमत नहीं है। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि थराली क्षेत्र में 147 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो बहुत अधिक है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि बादल फटना तब माना जाता है जब किसी इलाके में एक घंटे के भीतर 100 मिमी से अधिक बारिश हो।

चमोली की यह त्रासदी एक बार फिर बताती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश और आपदा का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रशासन की तेजी से की गई कार्रवाई ने कई लोगों की जान बचाई, लेकिन इस घटना ने आपदा प्रबंधन व्यवस्था की चुनौतियों को भी उजागर किया है।

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