
हल्द्वानी (उत्तराखंड), 20 जून 2025: उत्तराखंड की योग प्रतिभा से देश एक बार फिर गौरवान्वित हुआ है। हल्द्वानी की रहने वाली मात्र 8 वर्षीय बालिका हर्षिका रिखाड़ी, जिन्हें योग की दुनिया में ‘रबर डॉल’ के नाम से जाना जाता है, ने राष्ट्रीय स्तर पर एक और उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ द्वारा आयोजित चयन में देश के शीर्ष 21 प्रेरक योगियों (Top 21 Indian Inspiring Yogis) की सूची में स्थान प्राप्त कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दिल्ली में करेंगी प्रदर्शन
हर्षिका अब 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित भव्य योग महोत्सव में हिस्सा लेंगी। इस आयोजन में देशभर के प्रतिष्ठित योगगुरु और साधक भाग लेंगे। इतनी कम उम्र में इस मंच पर प्रदर्शन करना हर्षिका के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
योग महाशिखर सम्मेलन में मिली सराहना
हाल ही में दिल्ली के लाजपत भवन ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय योग महाशिखर सम्मेलन में हर्षिका ने अपनी अद्वितीय योग प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद उद्योगपति व सनातनी नेता डॉ. अभिषेक वर्मा ने हर्षिका को ₹21,000 की प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया।
महासंघ की ब्रांड एंबेसडर बनीं हर्षिका
सम्मेलन के दौरान महासंघ के अध्यक्ष योग गुरु मंगेश द्विवेदी ने हर्षिका को महासंघ का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया। यह सम्मान उन्हें उनकी प्रतिभा, लगन और देशभर में योग को प्रोत्साहित करने की क्षमता को देखते हुए प्रदान किया गया।
तीन साल की उम्र से कर रही हैं योग
हल्द्वानी के रामपुर रोड देवलचौड़ निवासी हर्षिका पिछले तीन वर्षों से योगाभ्यास कर रही हैं। पांच साल की उम्र से ही उन्होंने मोबाइल पर योग वीडियो देखकर अभ्यास शुरू किया। उनकी इस रुचि को देखते हुए माता-पिता भुवन रिखाड़ी और मोनिका रिखाड़ी ने उन्हें एक्शन वर्ल्ड योग एंड जिम्नास्टिक अकादमी में दाखिला दिलाया, जहां उन्होंने कोच नीरज धपोला के मार्गदर्शन में कठिन आसनों को भी सहजता से सीख लिया।
अब तक 30 से ज्यादा मेडल, 15 गोल्ड
हर्षिका अब तक योग के क्षेत्र में 30 से अधिक पदक, जिनमें 15 गोल्ड मेडल शामिल हैं, जीत चुकी हैं। उन्होंने ‘इंडिया प्राउड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’, ‘मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’, ‘योग रत्न’, ‘स्वर्ण भारत सम्मान’ जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल किए हैं।
पढ़ाई, नृत्य और जिम्नास्टिक में भी माहिर
हर्षिका न केवल योग बल्कि पढ़ाई में भी अव्वल हैं। वह हर बार अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। इसके अलावा वह जिम्नास्टिक और कुमाऊंनी लोकनृत्य में भी सक्रिय हैं। वे बाबा रामदेव को अपना प्रेरणा स्रोत मानती हैं और भविष्य में उनसे मिलने की इच्छा रखती हैं।
हर्षिका की कहानी यह दर्शाती है कि उम्र कभी भी सफलता की सीमा नहीं होती – आत्मविश्वास, लगन और समर्पण से कोई भी बालक देश और दुनिया में पहचान बना सकता है।