केदारनाथ यात्रा में घोड़ों की मौत से मचा हड़कंप, वायरस के खतरे को लेकर अस्थायी रोक
Death of horses in Kedarnath Yatra causes panic, temporary ban due to threat of virus

चारधाम यात्रा में अनहोनी ने बढ़ाई चिंता
चारधाम यात्रा इस बार भी पूरे उत्साह के साथ शुरू हुई, लेकिन केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़ों की अचानक मौत से हड़कंप मच गया है। अब तक 13 घोड़ों की जान जाने से प्रशासन और यात्रियों दोनों में चिंता की लहर दौड़ गई है। एहतियात के तौर पर फिलहाल यात्रा मार्ग पर घोड़ों और खच्चरों के संचालन पर अस्थायी रोक लगा दी गई है।
डायरिया और कोलिक बनीं मौत का कारण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृत घोड़ों में आठ की मौत डायरिया और पांच की मौत कोलिक नामक पेट की बीमारी से हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, कोलिक घोड़ों में गंभीर पेट दर्द और गैस के कारण होने वाली स्थिति है, जो समय पर इलाज न होने पर घातक हो सकती है।
इक्वाइन इन्फ्लुएंजा वायरस की आशंका
इन मौतों के पीछे इक्वाइन इन्फ्लुएंजा वायरस की आशंका भी जताई जा रही है। यह वायरस इंसानों के लिए तो खतरनाक नहीं है, लेकिन यह एक घोड़े से दूसरे में तेज़ी से फैल सकता है। पशुपालन सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम के अनुसार, इस वायरस के लक्षण तेज बुखार, नाक बहना और खांसी होते हैं, जो कि काफी हद तक इंसानों में फैलने वाले वायरस जैसे हैं।
प्रयोगशाला जांच की रिपोर्ट का इंतजार
सभी संदिग्ध मामलों की पुष्टि के लिए सैंपल बरेली स्थित प्रयोगशाला भेजे गए हैं और रिपोर्ट आने में 4-5 दिन लग सकते हैं। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की रणनीति तय की जाएगी।
उत्तर प्रदेश के घोड़ों पर रोक, नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य
उत्तर प्रदेश से आने वाले घोड़ों की संख्या हर साल हजारों में होती है, लेकिन इस बार केवल उन्हीं घोड़ों को अनुमति दी जा रही है, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव हो। 4 अप्रैल से 28 अप्रैल तक 16,000 घोड़ों की जांच की गई, जिनमें से 152 प्रारंभिक रूप से पॉजिटिव पाए गए, लेकिन आरटी-पीसीआर रिपोर्ट ने सभी को नेगेटिव बताया।
विशेषज्ञों की टीम और क्वारंटाइन सेंटर तैयार
प्रशासन ने 27 वेटरनरी विशेषज्ञों की टीम तैनात की है और एक क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था भी की गई है। 500 घोड़ों की क्षमता वाले इस सेंटर में संक्रमित पशुओं को अलग रखा जाएगा।
घोड़ों की संख्या सीमित, प्राथमिकता स्वास्थ्य को
इस बार केवल 5000 घोड़ों को ही पंजीकरण की अनुमति दी गई है, जबकि पहले यह संख्या 8000 तक होती थी। स्वास्थ्य-सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए फिलहाल केवल जांच में स्वस्थ पाए गए घोड़ों को ही यात्रा मार्ग पर भेजा जा रहा है।