
अमेरिकी राजनीति और वित्तीय बाजारों में इन दिनों एक नया शब्द सुर्खियों में है – TACO, जिसका पूरा रूप है “Trump Always Chickens Out”। यह शब्द अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों पर कटाक्ष करता है, जहां वे आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाने की धमकी देते हैं, लेकिन बाद में या तो उसे टाल देते हैं या नरम रुख अपना लेते हैं।
TACO शब्द को फाइनेंशियल टाइम्स के कॉलम लेखक रॉबर्ट आर्मस्ट्रांग ने गढ़ा है। उन्होंने इसे एक ट्रेडिंग प्लेबुक करार दिया है, क्योंकि यह पैटर्न ट्रंप के कार्यकाल में बार-बार सामने आया है। इस रणनीति के अनुसार जब भी ट्रंप टैरिफ की धमकी देते हैं, शेयर बाजार में गिरावट आती है, और जैसे ही वे निर्णय वापस लेते हैं या उसे स्थगित करते हैं, बाजार में फिर से उछाल आ जाती है।
व्हाइट हाउस में उठा मुद्दा, ट्रंप ने किया खारिज
हाल ही में व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब एक पत्रकार ने TACO शब्द का ज़िक्र किया, तो ट्रंप नाराज़ हो गए। उन्होंने इसे “खराब सवाल” बताया और कहा कि उनकी टैरिफ रणनीति पूरी तरह रणनीतिक और बातचीत का हिस्सा थी। ट्रंप ने कहा, “अगर मैंने यूरोप पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी नहीं दी होती, तो वे बातचीत के लिए नहीं आते।”
बाजार पर दिखा TACO का असर
ट्रंप की टैरिफ नीतियों का सीधा प्रभाव अमेरिकी वित्तीय बाजारों पर पड़ा है। उदाहरण के तौर पर, 12 मई को ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर 145% तक के टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही उन्होंने 90 दिनों की रोक की घोषणा कर दी। इसी तरह, 26 मई को यूरोपीय आयात पर 50% शुल्क जुलाई तक स्थगित कर दिया गया। इन घटनाओं के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में ज़बरदस्त उछाल देखा गया।
निवेशकों की बदलती सोच
वाइटल नॉलेज के प्रमुख विश्लेषक एडम क्रिसफुली के अनुसार, अब निवेशक ट्रंप की टैरिफ धमकियों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने 28 मई को अपने नोट में लिखा कि TACO अब एक मानसिक निवेश रणनीति बन चुकी है, जहां ट्रेडर्स टैरिफ की धमकी आने पर गिरावट में खरीदते हैं, यह जानते हुए कि जल्द ही ट्रंप कोई नरमी दिखाएंगे।
TACO एक संक्षिप्त नाम से कहीं ज्यादा है – यह डोनाल्ड ट्रंप की नीति निर्माण की शैली पर एक कटाक्ष है, जो अब अमेरिकी व्यापार, निवेश और राजनीति में गूंज रहा है। जहां ट्रंप इसे रणनीति बता रहे हैं, वहीं विश्लेषक और निवेशक इसे एक दोहराव वाला पैटर्न मानकर अपनी चालें चल रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह शब्द राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बना रहता है या सिर्फ एक बाजारीय मज़ाक बनकर रह जाता है।