सैनिक से लेफ्टिनेंट तक: अनूप भट्ट की प्रेरणादायक कहानी
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक के तड़ियाल गांव के अनूप भट्ट ने भारतीय सेना में 19 साल तक सैनिक के रूप में सेवा दी और अब लेफ्टिनेंट के रूप में नई शुरुआत की। उनकी यह यात्रा देशभक्ति, कठिन परिश्रम, और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।
सैनिक से अधिकारी तक का सफर
- 2005 में गढ़वाल राइफल्स में भर्ती: अनूप ने सेना में एक सैनिक के रूप में करियर शुरू किया।
- कारगिल में तैनाती और शिक्षा का संघर्ष: कारगिल की कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ाई जारी रखी।
- परिवार का योगदान: उनकी पत्नी और परिवार ने उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सहयोग दिया।
- पीसीएसएल प्रवेश योजना से चयन: 2023 में अंतिम प्रयास में सफलता प्राप्त कर आईएमए देहरादून से लेफ्टिनेंट बने।
2020 में मिली प्रेरणा, 2023 में बनी कहानी
भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान अनूप को कमांडिंग ऑफिसर से अधिकारी बनने की प्रेरणा मिली। दो बार असफल होने के बावजूद उन्होंने अपने अंतिम प्रयास में सफलता पाई।
अनूप भट्ट को मिले सम्मान
- 2021 में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड: चीन सीमा पर लॉन्ग रेंज पेट्रोल के लिए।
- उनकी मां प्रभा भट्ट भी 10 साल तक ग्राम प्रधान रहीं।
परिवार के साथ नई जिम्मेदारी
अनूप अपनी पत्नी, दो बच्चों और मां के साथ श्रीनगर में रहते हैं। उनकी सफलता सैनिकों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।
सैनिक कैसे बन सकते हैं अफसर?
- एसीसी (Army Cadet Corps): 20-27 साल के सैनिकों के लिए।
- एससीओ (Special Commissioned Officers): 27-35 साल के सैनिकों के लिए।
- पीसीएसएल (Permanent Commission through Special List): 30-42 साल के सैनिकों के लिए।
सफलता की कहानी
अनूप भट्ट की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से अपने सपनों को साकार करना चाहता है। उनकी यह यात्रा साबित करती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।