
देहरादून में हर साल 1500 से अधिक सांपों का रेस्क्यू, इन महीनों में बढ़ जाता है खतरा
देहरादून सहित उत्तराखंड के शहरी इलाकों में इन दिनों सांपों की सक्रियता अचानक बढ़ गई है। राजधानी में हर साल करीब 1500 सांपों का रेस्क्यू किया जाता है, लेकिन मार्च से मई तक के महीने सांपों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होते हैं। यही वजह है कि इस समय रिहायशी इलाकों में सांपों के दिखने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे लोगों में दहशत फैल जाती है, जबकि अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते।
मेटिंग सीजन और बारिश से सांपों की मूवमेंट में बढ़ोतरी
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार मार्च से मई सांपों का मेटिंग सीजन होता है। इस दौरान वे अपने बिलों से बाहर निकलते हैं और भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं। गर्मी और बारिश की वजह से जब बिलों में पानी भर जाता है, तो सांप शहरी इलाकों में भी पहुंच जाते हैं। ये सांप कई बार मेंढक या चूहों के पीछे चलते हुए घरों तक भी आ जाते हैं।
रेस्क्यू के आंकड़े कर रहे चौंकाने वाले खुलासे
देहरादून डिवीजन में पिछले एक साल में कुल 1493 सांपों को रेस्क्यू किया गया है। इसमें सबसे अधिक 387 सांप मालसी रेंज से और 328 सांप मल्हान रेंज से पकड़े गए हैं। औसतन हर महीने 120 से 130 सांप रेस्क्यू होते हैं, लेकिन बीते एक महीने में ही 200 से ज्यादा सांपों को पकड़ा गया है। रिहायशी इलाकों से लगातार सांप दिखने की सूचनाएं वन विभाग को मिल रही हैं।
24×7 रेस्क्यू सेवा दे रही है वन विभाग की QRT टीम
सांपों और अन्य वन्यजीवों के रेस्क्यू के लिए वन विभाग ने QRT (क्विक रिस्पांस टीम) गठित की है, जो 24 घंटे सेवा में तैनात रहती है। यह टीम सिर्फ सांप ही नहीं, बल्कि बंदर, चीतल, गोह, कछुए, पक्षी और मगरमच्छ जैसे अन्य जीवों को भी सुरक्षित स्थानों पर ले जाती है। देहरादून में किंग कोबरा, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर, इंडियन रेट स्नेक, वुल्फ स्नेक जैसे जहरीले और दुर्लभ सांप भी रेस्क्यू किए जा रहे हैं।
वन विभाग की अपील: सांपों से डरें नहीं, सूचना दें
पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रंजन कुमार मिश्रा ने कहा कि इस समय सांपों की मूवमेंट अधिक है, ऐसे में डरने की बजाय वन विभाग को सूचना दें। आम लोग टोल फ्री नंबर 1926 या स्थानीय वन अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। विभाग की अपील है कि सांपों को नुकसान न पहुंचाएं, बल्कि रेस्क्यू टीम को मौके पर बुलाएं।