
1 हेक्टेयर क्षेत्र में साल के पेड़ों को बना दिया बुरादा
रामनगर और हल्द्वानी के जंगलों में साल बोरर कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट साल के पेड़ों को कमजोर कर बुरादे में बदल रहा है। रामनगर वन प्रभाग के अनुसार, कोटाबाग रेंज के करीब 1 हेक्टेयर क्षेत्र में इस कीट का असर देखा गया है।
एफआरआई से मदद की अपील, जल्द होगा निरीक्षण
वन विभाग ने इस समस्या को लेकर वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) को सूचित किया है। एफआरआई के वैज्ञानिक जल्द ही निरीक्षण के लिए आएंगे और इस समस्या का समाधान शुरू करेंगे।
साल बोरर: 60-70 के दशक में भी किया था हमला
यह कीट 60-70 के दशक में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भी साल के पेड़ों पर हमला कर चुका है। इस बार हल्द्वानी और रामनगर के जंगल इसकी चपेट में हैं।
प्रकृति प्रेमियों ने जताई चिंता, बताए समाधान
प्रकृति प्रेमी संजय छिम्वाल ने कहा कि इस कीट से बचाव के लिए कार्बो फेरान कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। गंभीर स्थिति में प्रभावित पेड़ों को काटकर नष्ट करना ही एकमात्र उपाय है।
डीएफओ दिगंत नायक का बयान
डीएफओ दिगंत नायक ने कहा, “यह कीड़ा साल के पेड़ों को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इसे रोकने के लिए एफआरआई की टीम जल्द उपचार शुरू करेगी।”
1500 कीड़े एक पेड़ को चट कर जाते हैं
साल बोरर कीट मानसून के बाद सक्रिय होते हैं। अनुमान है कि करीब 1500 कीड़े एक हरे-भरे पेड़ को पूरी तरह नष्ट कर सकते हैं।
साल के पेड़ों की अहमियत
साल के पेड़ पर्यावरण के लिए बेहद उपयोगी हैं। ये प्रदूषण कम करने, हवा और पानी की गुणवत्ता सुधारने, और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं। इनका संरक्षण आवश्यक है।
वन विभाग और प्रकृति प्रेमियों की संयुक्त पहल जरूरी
बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए वन विभाग और प्रकृति प्रेमियों को मिलकर काम करना होगा, ताकि इनकीटों से साल के पेड़ों और पर्यावरण को बचाया जा सके।