
देहरादून, 04 दिसंबर 2024:मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में लेखक श्री प्रकाश सुमन ध्यानी द्वारा रचित पुस्तक ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ का विमोचन किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने की पुस्तक और लेखक की प्रशंसा:
मुख्यमंत्री ने श्री ध्यानी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ ने उपनिषदों के गूढ़ रहस्यों को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत किया है। उन्होंने इसे भारतीय वैदिक ज्ञान और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में एक अनूठा योगदान बताया। मुख्यमंत्री ने कहा, “उपनिषद भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं, जिन्होंने दुनिया को ज्ञान और चेतना का मार्ग दिखाया है। यह पुस्तक आत्म विकास, आत्म चिंतन, और ब्रह्मांडीय चेतना की ओर प्रेरित करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।”
उन्होंने कहा कि आज के भौतिकतावादी युग में उपनिषदों और वेदों का ज्ञान जीवन को नई दिशा देने के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है। उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, ने सदियों से अध्यात्म और दर्शन का केंद्र होने का गौरव प्राप्त किया है। यह पुस्तक इस परंपरा को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।
पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का वक्तव्य:
श्री भगत सिंह कोश्यारी ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि श्री प्रकाश सुमन ध्यानी ने जीव विज्ञान की पढ़ाई के बाद आत्मज्ञान की दिशा में यह पुस्तक लिखकर अनुकरणीय कार्य किया है। उन्होंने कहा, “आज पूरी दुनिया भारतीय अध्यात्म और योग की ओर आकर्षित हो रही है। हमारी संस्कृति का मूल आधार आध्यात्मिक बौद्धिकता (स्पिरिचुअल इंटेलिजेंस) है, जो भारत को विशेष बनाती है।”
विधानसभा अध्यक्ष का योगदान पर जोर:
विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ के माध्यम से लेखक ने आम जनमानस और विशेष रूप से नई पीढ़ी को भारतीय ग्रंथों और मूल्यों से जोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरल भाषा में इन ग्रंथों को प्रस्तुत करना आज की जरूरत है ताकि नई पीढ़ी अपने नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ी रह सके।
अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति:
इस अवसर पर विधायक श्रीमती सविता कपूर, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री सिद्धार्थ अग्रवाल, श्री गणेश खुगशाल, और कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। सभी ने लेखक के प्रयास को सराहा और इसे भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रचार-प्रसार में एक मील का पत्थर बताया।