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हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 की तैयारियां तेज, प्रयागराज कुंभ से लेंगे सीख

Preparations for Haridwar Ardh Kumbh 2027 are in full swing, we will learn from Prayagraj Kumbh

देहरादून: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 को लेकर देश-विदेश में जबरदस्त चर्चा है। इस बार 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम नगरी में आकर पुण्य लाभ प्राप्त कर चुके हैं। प्रयागराज कुंभ की भव्य व्यवस्थाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने 2027 में हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस मेले में भी करोड़ों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, और इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए गंगा सभा द्वारा एक खास प्रस्ताव रखा गया है। यदि इस प्रस्ताव पर अमल हुआ, तो अर्धकुंभ का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।

क्या होता है कुंभ और अर्धकुंभ?

कुंभ और अर्धकुंभ मेलों का आयोजन धार्मिक परंपराओं के अनुसार किया जाता है। प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में हर 12 साल बाद कुंभ का आयोजन होता है, जबकि हर 6 साल बाद प्रयागराज और हरिद्वार में अर्धकुंभ आयोजित किया जाता है।

हालांकि, कुंभ और अर्धकुंभ की भव्यता में अंतर होता है। कुंभ में साधु-संतों की पेशवाई और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जाती है, जबकि अर्धकुंभ अपेक्षाकृत छोटा आयोजन होता है। इसके बावजूद, श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है, और राज्य सरकारें इसकी तैयारियों में कई साल पहले से जुट जाती हैं। उत्तराखंड सरकार भी 2027 के अर्धकुंभ को यादगार बनाने की योजना पर काम कर रही है।

हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 की तैयारियां

हरिद्वार में 2027 में होने वाले अर्धकुंभ मेले के दौरान उत्तराखंड विधानसभा चुनाव भी होने हैं, इसलिए जिला प्रशासन अभी से इसकी तैयारियों को प्राथमिकता दे रहा है। प्रमुख योजनाओं में शामिल हैं:

  • बेहतर यातायात और पार्किंग सुविधाएं।
  • स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करना।
  • श्रद्धालुओं के लिए भोजन और ठहरने की समुचित व्यवस्था।
  • सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस बल की तैनाती।
  • हरिद्वार कॉरिडोर प्रोजेक्ट की समय सीमा तय करना।

प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए एजेंसियों से बातचीत कर रहा है कि मेला अवधि के दौरान अव्यवस्था न हो और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

प्रयागराज कुंभ से सीख लेकर होगी तैयारियां

गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे के अनुसार, उत्तराखंड सरकार के कई अधिकारी प्रयागराज कुंभ की व्यवस्थाओं को समझने के लिए वहां मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि,

“हमारी टीम प्रयागराज कुंभ के आयोजन से अनुभव प्राप्त कर रही है, जिसे हरिद्वार में अर्धकुंभ और कांवड़ मेले में लागू किया जाएगा। यह तय है कि 2027 का अर्धकुंभ अपने आप में एक भव्य और दिव्य आयोजन होगा।”

गंगा सभा के सुझाव से ऐतिहासिक बन सकता है अर्धकुंभ

हरिद्वार की गंगा सभा ने राज्य सरकार और अखाड़ों से वार्ता करने की योजना बनाई है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं:

  1. कोरोना महामारी के कारण 2021 में कुंभ मेला अपेक्षाकृत फीका रहा।
  2. हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 और उज्जैन कुंभ 2028 के बीच एक वर्ष का अंतर होगा, जिससे अधिक संत और श्रद्धालु हरिद्वार में जुट सकते हैं।

गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि,

“हम हर की पैड़ी के प्रतिनिधि के रूप में सरकार और प्रमुख संत समाज से चर्चा करेंगे ताकि अर्धकुंभ को दिव्य और भव्य बनाया जा सके। हमारी कोशिश होगी कि प्रयागराज की तर्ज पर इसे ऐतिहासिक रूप दिया जाए।”

क्या होगा आगे?

सरकार और संत समाज के बीच बातचीत के बाद यह स्पष्ट होगा कि क्या 2027 का हरिद्वार अर्धकुंभ इतिहास में अपनी अलग पहचान बना पाएगा। वर्तमान में, प्रशासन ने सभी विभागों को योजना निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं।

यदि सभी योजनाएं सही दिशा में आगे बढ़ीं, तो 2027 का हरिद्वार अर्धकुंभ देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन सकता है।

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