
देहरादून: उत्तराखंड में इस वर्ष 15 जून के आसपास मानसून के आगमन की संभावना है। हर साल की तरह इस बार भी मानसून सीजन में आपदा जैसे हालात बनने की आशंका है। खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और सड़कें टूटने की घटनाएं आम होती हैं, जिससे न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सड़कों और पुलों की हो रही जांच
लोक निर्माण विभाग ने मानसून से पहले अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। विभाग के सचिव पंकज कुमार पांडेय के अनुसार, हर साल की तरह इस बार भी संवेदनशील क्षेत्रों में जेसीबी मशीनें पहले से ही तैनात की जा रही हैं। इन मशीनों की मदद से किसी भी आपात स्थिति में मलबा हटाकर यातायात को जल्द से जल्द बहाल करने की योजना है। इसके साथ ही, प्रदेश में स्थित पुलों का निरीक्षण भी किया जा रहा है ताकि किसी भी कमजोर संरचना की मरम्मत समय पर की जा सके।
चारधाम यात्रा के लिए विशेष सतर्कता
पर्यटन एवं लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि मानसून के दौरान चारधाम यात्रा प्रभावित होती है, लेकिन इस बार व्यवस्थाओं को पहले से मजबूत किया जा रहा है। पुराने पुलों की मजबूती जांचने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कारण शुरुआत में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई थी, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होगी, यात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।
आपदा प्रबंधन विभाग की रणनीति
आपदा प्रबंधन विभाग भी पूरी तरह से सतर्क है। विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि मौसम विभाग के अनुसार इस बार सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। ऐसे में विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जल्द ही एक वर्कशॉप आयोजित की जाएगी जिसमें सभी स्टेक होल्डर शामिल होंगे और उन्हें आपदा के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी जाएगी।
उत्तराखंड सरकार मानसून से पहले पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुकी है। सड़कों, पुलों और संवेदनशील इलाकों में तैनात की गई मशीनरी और सतर्क प्रशासन यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं कि मानसून के दौरान किसी भी आपदा से निपटा जा सके।