
देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में इस समय हलचल तेज़ है। प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को हटाए जाने की अटकलों से माहौल गर्म है। अब इस सियासी घमासान में धामी सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का नाम भी चर्चा में आ गया है। कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच जोशी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। इस मामले में विजिलेंस कोर्ट ने उनकी जांच को खारिज कर दिया है, जिसे बीजेपी राहत मान रही है, लेकिन जानकार इसे आने वाली बड़ी मुसीबत करार दे रहे हैं।
विजिलेंस कोर्ट का फैसला और बीजेपी की प्रतिक्रिया
गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में विजिलेंस कोर्ट में मामला चल रहा था, जिसे हाल ही में खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ता द्वारा शपथ पत्र दाखिल न करने के आधार पर लिया। उत्तराखंड भाजपा प्रवक्ता विपिन कैंथोला ने इसे बड़ी राहत बताते हुए कहा कि जब आरोपों में सच्चाई नहीं होती, तो इस तरह के मामले स्वतः ही खारिज हो जाते हैं। उनका कहना है कि शिकायतकर्ता द्वारा शपथ पत्र न देना इस बात का प्रमाण है कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप निराधार थे।
फिर से दर्ज होगी शिकायत, हाईकोर्ट जाने की तैयारी
हालांकि, याचिकाकर्ता एडवोकेट विकेश नेगी हार मानने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह इस मामले को दोबारा विजिलेंस में लेकर जाएंगे। इस बार वह शपथ पत्र के साथ शिकायत दर्ज कराएंगे ताकि मामले में कोई तकनीकी खामी न रहे। उनके पास दूसरा विकल्प भी खुला है – सीधे हाईकोर्ट जाना। इस पर उनकी लीगल टीम काम कर रही है ताकि इस बार किसी भी कानूनी चूक की गुंजाइश न रहे। विकेश नेगी ने कहा कि कोर्ट ने भी माना है कि यह आय से अधिक संपत्ति का मामला है, लेकिन केवल शपथ पत्र की कमी के कारण याचिका खारिज हुई। इसलिए, वह इस मामले को फिर से उठाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
कांग्रेस ने साधा निशाना, जांच प्रभावित करने का आरोप
इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस भी हमलावर हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार के कई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और सरकार जांच को प्रभावित करने का काम कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा कि विजिलेंस कोर्ट को धामी सरकार ने मुकदमा दर्ज करने की अनुमति नहीं दी, जिससे साफ पता चलता है कि सरकार अपने मंत्री को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ शपथ पत्र न होने के आधार पर मामला खारिज करना एक बहाना है, जबकि असली सच्चाई को छुपाने की कोशिश की जा रही है।
गणेश जोशी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गणेश जोशी की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। प्रतिमा सिंह ने कहा कि अभी तक यह मामला विजिलेंस कोर्ट में था, जो राज्य सरकार के अधीन आता है। अगर यह मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जाता है, तो निश्चित रूप से उनके लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं। इससे पहले भी एक सीबीआई जांच उनके खिलाफ चल रही है और यह दूसरा बड़ा मामला होगा, जिससे उनके राजनीतिक करियर पर असर पड़ सकता है।
क्या अगला कदम हाईकोर्ट होगा?
फिलहाल, गणेश जोशी को विजिलेंस कोर्ट से राहत मिल गई है, लेकिन मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता और कांग्रेस इस मुद्दे को और आगे ले जाने के लिए कमर कस चुके हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है और क्या यह हाईकोर्ट में नए सिरे से चुनौती बनकर सामने आता है। उत्तराखंड की सियासत में इस मुद्दे से हलचल और तेज होने की संभावना है।