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उत्तराखंड में पहली बार गुच्छी मशरूम की खेती में मिली सफलता

For the first time in Uttarakhand, success was achieved in the cultivation of Gucchi mushroom

पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड): विश्व की सबसे महंगी मशरूम में से एक गुच्छी मशरूम को उगाने में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उत्तराखंड के नवीन पटवाल ने पहली बार इस मशरूम की सफल खेती कर एक नया इतिहास रच दिया है। गुच्छी मशरूम की कीमत भारत में 30 से 40 हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है और यह औषधीय गुणों से भरपूर मानी जाती है।

2 साल की मेहनत के बाद मिली सफलता

नवीन पटवाल पिछले कुछ वर्षों से गुच्छी मशरूम की खेती पर प्रयोग कर रहे थे। साल 2022 में उन्होंने इसकी खेती करने की कोशिश की, लेकिन कई बार असफल रहे। आखिरकार, दिसंबर 2024 में उन्होंने दोबारा प्रयास किया और 90 दिनों के भीतर शानदार परिणाम प्राप्त किए।

पहले ही ट्रायल में उगाए 100 किलो मशरूम

नवीन पटवाल ने अपने 100 स्क्वायर मीटर पॉलीहाउस में 100 किलो गुच्छी मशरूम का उत्पादन किया है। उन्होंने बताया कि इस मशरूम को कम तापमान वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसकी पूरी विकास प्रक्रिया 90 दिनों में पूरी होती है। अब वे इसे बड़े स्तर पर करने की योजना बना रहे हैं।

गुच्छी मशरूम की खेती से रुकेगा पलायन

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन एक गंभीर समस्या बनी हुई है। नवीन पटवाल का मानना है कि गुच्छी मशरूम की खेती ग्रामीण युवाओं को रोजगार देकर पलायन रोकने में मददगार साबित हो सकती है। वे इस खेती को और अधिक लोगों तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।

भारत में पहली बार खुले मैदान में हुआ उत्पादन

पौड़ी गढ़वाल जिले के उद्यान विभाग के अधिकारी राजेश तिवारी ने बताया कि यह उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि भारत में पहला ऐसा मामला है जब गुच्छी मशरूम का उत्पादन खुले मैदान में सफलतापूर्वक किया गया है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही इसका उत्पादन होता था, लेकिन वैज्ञानिक प्रयोगों में अब तक इसे व्यावसायिक स्तर पर उगाना संभव नहीं हो पाया था।

उद्यान विभाग देगा सहयोग

गुच्छी मशरूम की खेती में मिली इस ऐतिहासिक सफलता को देखते हुए उत्तराखंड सरकार और उद्यान विभाग अब इस क्षेत्र में और अधिक शोध और सहायता प्रदान करने की योजना बना रहे हैं। नवीन पटवाल को सरकारी योजनाओं के तहत पूरी सहायता दी जाएगी।

गुच्छी मशरूम की खेती से उत्तराखंड के किसानों को एक नई राह मिल सकती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और प्रदेश में कृषि को एक नया आयाम मिलेगा।

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