
देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया ने आधिकारिक रूप से गति पकड़ ली है। हरिद्वार को छोड़कर राज्य के शेष 12 जिलों में यह चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। हाल ही में संशोधित अधिसूचना जारी होने के बाद 2 जुलाई से नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे, और मतगणना की तारीख 31 जुलाई तय की गई है।
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 5 जुलाई है। उम्मीदवार सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक अपने नामांकन दस्तावेज संबंधित कार्यालयों में जमा कर सकते हैं। इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच 7 से 9 जुलाई के बीच होगी, जबकि 10 और 11 जुलाई को नाम वापसी की प्रक्रिया संपन्न होगी।
नामांकन फार्मों की रिकॉर्ड बिक्री
चुनाव कार्यक्रम के ऐलान के साथ ही नामांकन फार्मों की बिक्री में जबरदस्त तेजी देखी गई है। अब तक कुल 22,321 नामांकन पत्र खरीदे जा चुके हैं। सिर्फ 1 जुलाई को ही 15,468 फार्म बिके, जबकि 30 जून को 5,746 फार्मों की बिक्री हुई। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव को लेकर खासा उत्साह है।
हाईकोर्ट की रोक और संशोधित अधिसूचना
गौरतलब है कि पहले 21 जून को पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन बाद में मामला नैनीताल हाईकोर्ट में पहुंचने के चलते 23 जून को इस पर अस्थायी रोक लग गई। इसके बाद 27 जून को सुनवाई के दौरान अदालत ने स्थगन हटा दिया और राज्य सरकार को नया कार्यक्रम जारी करने की अनुमति दी। उसी क्रम में 28 जून को संशोधित अधिसूचना जारी की गई।
चुनाव कार्यक्रम इस प्रकार है:
- नामांकन: 2 से 5 जुलाई
- जांच: 7 से 9 जुलाई
- नाम वापसी: 10 और 11 जुलाई
- पहले चरण के चुनाव चिन्ह का आवंटन: 14 जुलाई
- पहले चरण का मतदान: 24 जुलाई
- दूसरे चरण के चुनाव चिन्ह का आवंटन: 18 जुलाई
- दूसरे चरण का मतदान: 28 जुलाई
- मतगणना (दोनों चरणों की): 31 जुलाई
लोकतंत्र के जश्न में ग्रामीणों की भागीदारी
पंचायत चुनावों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रुचि देखी जा रही है। बड़ी संख्या में लोग नेतृत्व के लिए तैयार हैं, जो ग्रामीण लोकतंत्र की सक्रियता का प्रतीक है। पंचायत चुनाव न केवल स्थानीय प्रतिनिधित्व का माध्यम हैं, बल्कि ग्रामीण विकास की दिशा भी तय करते हैं।
चुनाव आयोग की तैयारी
निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। हर मतदान केंद्र पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर मतदान प्रक्रिया को व्यवस्थित किया जाएगा। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव स्थानीय लोकतंत्र की मजबूती की ओर एक अहम कदम साबित हो रहे हैं।