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क्रिप्टो में मोटे मुनाफे का झांसा, रिटायर्ड बैंक अधिकारी से 66 लाख की साइबर ठगी, एआई से बनाया गया फर्जी वीडियो

On the pretext of huge profits in crypto, a retired bank officer was cyber-cheated of Rs 66 lakh, fake video created using AI

देहरादून/रुड़की: उत्तराखंड में साइबर ठगी का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां रिटायर्ड बैंक अधिकारी को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर 66 लाख रुपये की चपत लगा दी गई। ठगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से केंद्रीय वित्त मंत्री का फर्जी वीडियो बनाकर फेसबुक पेज पर चलाया, जिससे प्रभावित होकर पीड़ित ने भारी भरकम रकम ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दी।

फेसबुक पेज पर मिला झांसा

रुड़की के आजाद नगर निवासी मुनेश कुमार, जो कि एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी हैं, ने बताया कि 7 मई को वे गूगल पर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के विकल्प तलाश रहे थे। तभी उन्हें ‘जुदाह मुजारिक’ नामक एक फेसबुक पेज दिखाई दिया, जिस पर लिखा था कि 21 हजार रुपये निवेश करने पर 7 दिन में साढ़े छह लाख रुपये का मुनाफा मिलेगा। इस पेज पर वित्त मंत्री का एक प्रेरणादायक लेकिन नकली वीडियो भी चल रहा था, जिसने पीड़ित को भरोसे में ले लिया।

66 लाख की रकम धीरे-धीरे निवेश

पीड़ित ने पहले 21 हजार रुपये कंपनी के बताए बैंक खाते में ट्रांसफर किए। इसके बाद एक महिला ने उन्हें फोन कर एक कथित “सीनियर मैनेजर” से बात कराई, जिसने निवेश के और फायदे गिनवाए। ठगों की बातों में आकर मुनेश कुमार ने अलग-अलग तारीखों में मिलाकर कुल 66 लाख 21 हजार रुपये निवेश कर दिए।

40 लाख और मांगे, तब हुआ शक

28 मई को कंपनी की ओर से बताया गया कि उनका मार्जिन मनी समाप्त हो गया है और उन्हें और 40 लाख रुपये निवेश करने होंगे। जब उन्होंने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, तो कंपनी की तरफ से इजरायल-ईरान युद्ध का बहाना बनाया गया और निवेश को “रोक” देने की बात कही गई। इसके बाद लगातार टालमटोल करने पर पीड़ित को धोखाधड़ी का अहसास हुआ।

एआई वीडियो से बढ़ रहा साइबर फ्रॉड

साइबर क्राइम सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जिन बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, उनकी जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि AI तकनीक के जरिये फर्जी वीडियो बनाकर आम लोगों को झांसे में लेने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।

यह मामला न सिर्फ एक रिटायर्ड अधिकारी के साथ साइबर ठगी का है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे तकनीक का दुरुपयोग कर फर्जी प्रचार से लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। विशेषज्ञों ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी निवेश से पहले सत्यापन जरूर करें और सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे वीडियो पर बिना जांच भरोसा न करें।

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