
नई दिल्ली, जून 2025: दुनिया भर में कोरोना वायरस एक बार फिर चिंता का कारण बन रहा है। इस बार इसकी वजह बना है एक नया सब-वैरिएंट, जिसका नाम ‘निंबस’ (NB.1.8.1) है। यह ओमिक्रॉन वैरिएंट की एक शाखा है और हाल ही में भारत में इसके दो मामलों की पुष्टि हुई है। संक्रमण के ये मामले चेन्नई और पुणे से सामने आए हैं। दोनों मरीजों की हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन इस नए वैरिएंट को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है।
तेज गले का दर्द—निंबस का प्रमुख लक्षण
निंबस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों में सबसे अलग और चिंताजनक लक्षण गले में असहनीय दर्द है। इसे विशेषज्ञों ने ‘रेज़र ब्लेड थ्रोट’ नाम दिया है, क्योंकि संक्रमितों को ऐसा लगता है जैसे गले में कांटे या ब्लेड चुभ रहे हों। यह सामान्य सर्दी-जुकाम से अलग है और निगलने में कठिनाई पैदा कर सकता है।
इस लक्षण के अलावा अन्य सामान्य कोविड लक्षण भी देखने को मिले हैं, जैसे—नाक बहना, बुखार, खांसी, थकावट, मांसपेशियों में दर्द, गंध-सूंघने की शक्ति का जाना और सांस लेने में दिक्कत। अच्छी खबर यह है कि भारत में अभी तक इन लक्षणों की गंभीरता बहुत अधिक नहीं पाई गई है।
तेज़ी से फैलता है निंबस
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वैरिएंट पहले के मुकाबले तीन गुना तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। सबसे पहले इसकी पहचान चीन में हुई थी, लेकिन फिलहाल अमेरिका में यह ज्यादा प्रभावी है, जहां कुल संक्रमितों में से करीब 37% इसी वैरिएंट से संक्रमित हैं। चिंता की बात यह है कि यह वैरिएंट पहले संक्रमित हो चुके या टीकाकरण करवा चुके लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।
WHO का बयान और भारत की तैयारियाँ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वर्तमान में निंबस को लेकर कोई बड़ा वैश्विक खतरा नहीं है। WHO के अनुसार, मौजूदा टीके इस वैरिएंट पर असरदार हैं। फिर भी, सावधानी बरतना जरूरी है।
भारत सरकार ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुझाव दिए हैं कि लोग सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं, भीड़ से बचें और लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराएं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय ढिलाई बरतने का नहीं है। निंबस की शुरुआती मौजूदगी को देखते हुए जन सहयोग और सतर्कता से ही संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।