
उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल ने अपना 183वां जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर स्थानीय लोगों और छात्रों ने विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। एक निजी स्कूल में आयोजित समारोह में होटल व्यवसायियों और स्कूली बच्चों ने मिलकर एक दर्जन से अधिक केक काटे और नैनीताल के जन्मदिवस का उत्सव मनाया।
नैनीताल की खोज का दिलचस्प इतिहास
नैनीताल की खोज 1841 में ब्रिटिश व्यापारी पीटर बैरन ने की थी। कुमाऊं विश्वविद्यालय के इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार, बैरन नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे अपना स्थायी निवास बनाने का निश्चय किया। बैरन ने यहां के थोकदार नूरसिंह से यह इलाका खरीदने की कोशिश की। पहले तो नूरसिंह राजी हो गए, लेकिन बाद में उन्होंने जमीन बेचने से इनकार कर दिया।
कहा जाता है कि बैरन ने नूरसिंह को झील के बीच ले जाकर डराया और जमीन बेचने के लिए मजबूर किया। इस तरह, पीटर बैरन ने नैनीताल को अपना सपना साकार करने के लिए एक खूबसूरत नगर में बदल दिया।
भूकंप ने उजाड़ा था नैनीताल
18 सितंबर 1880 को आए विनाशकारी भूकंप ने नैनीताल को बुरी तरह प्रभावित किया। इस आपदा में 151 लोग मारे गए, और झील में भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया। इसके चलते फ्लैट्स मैदान का निर्माण हुआ, जो आज खेल आयोजनों का प्रमुख स्थान है। भूकंप के बाद, अंग्रेजों ने इस नगर को पुनर्जीवित करने के लिए कई प्रयास किए। कमजोर पहाड़ियों को भूस्खलन से बचाने के लिए 64 छोटे-बड़े नालों का निर्माण किया गया।
नैनीताल की पहचान
नैनीताल की नैनीझील इसका मुख्य आकर्षण है, जहां देश-विदेश से सैलानी आकर आनंद लेते हैं। यह शहर न केवल पर्यटन के लिए बल्कि देश के बेहतरीन स्कूलों के लिए भी प्रसिद्ध है। टिफिन टॉप, हिमालय दर्शन, चाइना पीक जैसे कई दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक इमारतें ब्रिटिश काल की यादें ताजा करती हैं।
समृद्ध अतीत और उज्ज्वल भविष्य
नैनीताल की कहानी संघर्ष और सफलता का प्रतीक है। प्राकृतिक आपदाओं और अन्य चुनौतियों के बावजूद, इस शहर ने अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सहेजकर रखा है। नैनीताल का जन्मदिन हर साल हमें इसके गौरवशाली इतिहास और उज्ज्वल भविष्य की याद दिलाता है।