
उत्तराखंड की कारीगरी का कमाल, मोनाल पर आधारित शुभंकर ‘मौली’ को लोग कर रहे पसंद
रामनगर: उत्तराखंड में 38वें नेशनल गेम्स की धूम मची हुई है। खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, और खेल प्रेमियों का उत्साह चरम पर है। लेकिन इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण ‘मौली’ बना हुआ है, जो राज्य पक्षी मोनाल पर आधारित शुभंकर है। इसे बेहद खास अंदाज में रामनगर की भावना मेहरा ने ऊन से तैयार किया है, जो अब दर्शकों के बीच खासा लोकप्रिय हो रहा है।
भावना मेहरा ने नीटिंग मशीन और हैंडवर्क से ‘मौली’ बनाए हैं, जो न केवल राज्य की संस्कृति को प्रमोट कर रहे हैं, बल्कि महिलाओं के रोजगार और पक्षी संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं। हल्द्वानी में गौलापार स्थित स्टेडियम में लगी भावना मेहरा की स्टॉल मुख्य आकर्षण बन गई है।
ऊन से बने मौली शुभंकर ने बटोरी सुर्खियां
भावना मेहरा का कहना है कि उन्होंने दो आकारों में मौली बनाए हैं – एक बड़ा और एक छोटा। बड़े मौली की कीमत ₹1500 और छोटे मौली की कीमत ₹1000 रखी गई है। वह इन मौली को उद्योग विभाग के सहयोग से लगी स्टॉल के माध्यम से बेच रही हैं, जिससे महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है।
लोगों को खूब भा रहा है मौली
नेशनल गेम्स में आए दर्शक जब भावना मेहरा के स्टॉल पर ‘मौली’ को देखते हैं, तो उनके चेहरे पर खुशी झलक उठती है। लोग इस अनोखे हस्तनिर्मित शुभंकर को खूब पसंद कर रहे हैं और इसे खरीदकर यादगार के रूप में संजो रहे हैं।
पक्षी संरक्षण का भी संदेश दे रही भावना मेहरा
भावना मेहरा केवल रोजगार ही नहीं, बल्कि राज्य पक्षी मोनाल के संरक्षण का भी संदेश दे रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा ने उनकी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि मोनाल 6,000 से 14,000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में रखा गया है।
नरेंद्र शर्मा ने बताया कि मोनाल के नर पक्षी के पंख चमकीले नीले, हरे, बैंगनी और लाल रंग के होते हैं, जबकि मादा और युवा मोनाल भूरे रंग के होते हैं। इसकी लंबाई लगभग 70 सेंटीमीटर और वजन 1.8 से 2.3 किलोग्राम तक होता है। IUCN (International Union for Conservation of Nature) ने भी मोनाल को संरक्षित करने की अपील की है और इसे रेड बुक में सूचीबद्ध किया गया है।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी भावना मेहरा
भावना मेहरा के इस प्रयास को खेल प्रेमियों, पर्यटकों और स्थानीय लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। उनकी यह पहल न केवल महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रही है, बल्कि यह पर्वतीय संस्कृति और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैला रही है।
38वें नेशनल गेम्स के दौरान ‘मौली’ शुभंकर उत्तराखंड की कारीगरी और संस्कृति का शानदार उदाहरण बनकर उभरा है, जो राज्य के गौरव और महिलाओं के हुनर को नई पहचान दिला रहा है।