उत्तराखंड

गैरसैंण में गरमाएगा मानसून सत्र, सरकार पर बरसेंगे सवाल

Monsoon session will heat up in Gairsain, questions will be raised on the government

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र 19 से 22 अगस्त तक गैरसैंण के भराड़ीसैंण में आयोजित किया जाएगा। चार दिवसीय इस सत्र को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण से मुलाकात कर सत्र के सुचारु संचालन पर चर्चा की।


संसदीय कार्य मंत्री बने सुबोध उनियाल

पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद खाली पड़े संसदीय कार्य मंत्री का पद अब सुबोध उनियाल को सौंपा गया है। 19 अगस्त से शुरू होने वाले सत्र में मुख्यमंत्री से जुड़े विभागों से संबंधित सभी विधायी और संसदीय प्रश्नों के उत्तर देने की जिम्मेदारी उन्हीं पर होगी।


विपक्ष के सवालों से गरमाएगा सदन

सत्र से पहले ही विपक्ष ने सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है। विधानसभा सचिवालय के अनुसार, इस बार 545 सवाल विधायकों की ओर से भेजे गए हैं। विपक्ष खासतौर पर आपदा प्रबंधन, पुनर्वास और पुनर्स्थापना जैसे विषयों पर सरकार को घेर सकता है। उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र की हालिया आपदा को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली विपक्ष के निशाने पर रहेगी।


चमोली प्रशासन ने कसी कमर

भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर और आसपास की व्यवस्थाओं की समीक्षा चमोली जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने की। उन्होंने विभागों को जिम्मेदारियां सौंपीं और आपसी तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।


सुरक्षा व्यवस्था सख्त

सत्र के दौरान सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए गए हैं। विधानसभा परिसर में बैरिकेडिंग, पुलिस बल और पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं। संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।


यातायात और सुविधाओं की तैयारी

गैरसैंण की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यातायात व्यवस्था को दुरुस्त किया गया है। विधानसभा जाने वाले मार्गों की मरम्मत पूरी हो चुकी है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए अलग पार्किंग बनाई गई है। हेलीपैड को भी दुरुस्त किया गया है ताकि आवश्यकता पड़ने पर हवाई सेवाएं उपलब्ध हो सकें।
सत्र के दौरान बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य सेवाएं और नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।


सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा सत्र

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र सरकार के लिए आसान नहीं होगा। विपक्ष आपदा प्रबंधन के साथ-साथ बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं को भी जोर-शोर से उठाएगा। दूसरी ओर, सरकार अपनी उपलब्धियों को पेश कर विपक्षी हमलों का जवाब देने की कोशिश करेगी।


गैरसैंण सत्र का महत्व

गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद यहां सत्र का आयोजन राजनीतिक संतुलन के लिहाज से महत्वपूर्ण है। चार दिन का यह सत्र छोटा जरूर है, लेकिन इसमें सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल सकती है।
धराली आपदा जैसे संवेदनशील मुद्दों के बीच यह सत्र धामी सरकार की नीतियों और कार्यशैली की असली परीक्षा साबित हो सकता है।

 

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