उत्तराखंड में आधुनिक लॉन्ग रेंज सायरन प्रणाली का शुभारंभ, भूकंप, बाढ़ और बादल फटने पर 16 किमी तक अलर्ट
Modern long range siren system launched in Uttarakhand, alert up to 16 km in case of earthquake, flood and cloud burst

देहरादून: उत्तराखंड, प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील राज्य माना जाता है। पहाड़ी भूगोल, ऊँचाई और मौसम की अनिश्चितता यहां अकसर भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना और भूकंप जैसी घटनाओं को जन्म देती है। इन परिस्थितियों से निपटने और समय पर चेतावनी देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून के डालनवाला थाना परिसर से अत्याधुनिक लॉन्ग रेंज सायरन प्रणाली का उद्घाटन किया।
आपदा प्रबंधन को नई मजबूती
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में 13 नए सायरनों का लोकार्पण किया। इन सायरनों की खासियत यह है कि ये 8 से 16 किलोमीटर तक की दूरी में लोगों तक आवाज पहुंचाने में सक्षम हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में आपदा की आशंका हर समय बनी रहती है, ऐसे में लोगों तक समय रहते सूचना पहुंचाना बेहद आवश्यक है। नई प्रणाली से आपदा प्रबंधन विभाग और पुलिस को राहत एवं बचाव कार्य अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद मिलेगी।
आपदाओं का स्थायी खतरा
सीएम धामी ने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के कारण उत्तराखंड हमेशा आपदा संभावित श्रेणी में आता है। इस साल भी राज्य को कई आपदाओं का सामना करना पड़ा है—बादल फटने से तबाही, भूस्खलन से सड़कें और घर जमींदोज। उनका कहना था कि सरकार का लक्ष्य ऐसी घटनाओं से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करना है और इसके लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करना प्राथमिकता है।
8 से 16 किमी तक अलर्ट
नई सायरन प्रणाली के जरिए लोगों को 8 से 16 किलोमीटर तक अलर्ट किया जा सकेगा। भीड़भाड़ वाले इलाकों, संवेदनशील क्षेत्रों और आपदा संभावित स्थानों पर इनकी स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इनकी आवाज इतनी स्पष्ट होगी कि लोग तुरंत सतर्क हो सकेंगे और सुरक्षित स्थानों की ओर बढ़ सकेंगे। यह प्रणाली केवल प्राकृतिक आपदाओं तक सीमित नहीं, बल्कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में नागरिक सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगी।
राहत और बचाव कार्य में मददगार
विशेषज्ञों का मानना है कि आपदा के समय सबसे बड़ी चुनौती लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना होता है। यदि समय रहते चेतावनी मिल जाए तो जनहानि को काफी हद तक रोका जा सकता है। सायरन बजते ही गांव और कस्बों के लोग सुरक्षित स्थानों की ओर जा सकेंगे, जिससे प्रशासन को तत्काल कार्रवाई का अवसर मिलेगा।
जनता को जानकारी और प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सायरनों का उपयोग केवल आपात चेतावनी तक सीमित नहीं रहेगा। यह जनता को जागरूक करने और समय-समय पर प्रशिक्षण देने में भी मदद करेगा। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इसका नियमित परीक्षण करें और स्थानीय निवासियों को इसके महत्व और उपयोग के बारे में जानकारी दें।
तकनीक से मजबूत राज्य
धामी ने कहा कि आधुनिक तकनीक से आपदा प्रबंधन को नई दिशा मिल रही है। पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग को नई तकनीक से लैस किया जा रहा है। इस पहल से राज्य की आपदा प्रबंधन क्षमता बढ़ेगी और नागरिकों में सुरक्षा का भरोसा भी जागेगा।