
देहरादून: उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन की शुरुआत से पहले राज्य सरकार और संबंधित विभागों की तैयारियों का आकलन करने के लिए संयुक्त मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) की देखरेख में होने वाले इस अभ्यास का उद्देश्य वनाग्नि से निपटने की तैयारियों को परखना और विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।
किन जिलों में होगी मॉक ड्रिल?
प्रदेश के सात जिलों में यह मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिनमें—
- उत्तरकाशी (तीन स्थान)
- पौड़ी गढ़वाल (दो स्थान)
- चंपावत (दो स्थान)
- देहरादून (तीन स्थान)
- अल्मोड़ा (तीन स्थान)
- नैनीताल (एक स्थान)
- टिहरी गढ़वाल (तीन स्थान)
इन जिलों में वन विभाग और अन्य आपदा प्रबंधन एजेंसियां जंगल की आग से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को परखेंगी।
13 फरवरी को होगा मॉक ड्रिल अभ्यास
देहरादून वन प्रभाग, चकराता और मसूरी डिवीजन में भी इस अभ्यास का आयोजन किया जाएगा। वन विभाग के अनुसार, सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और 13 फरवरी को यह मॉक ड्रिल एक साथ सात जिलों में होगी।
ये विभाग लेंगे हिस्सा
उत्तराखंड में हर साल 15 फरवरी से 15 जून के बीच फॉरेस्ट फायर सीजन रहता है। ऐसे में इस मॉक ड्रिल में विभिन्न विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, जिनमें—
- वन विभाग
- जिला प्रशासन
- पुलिस विभाग
- फायर डिपार्टमेंट
- जल संस्थान
- लोक निर्माण विभाग (PWD)
- होमगार्ड विभाग
उत्तराखंड में पहली बार हो रहा है ऐसा अभ्यास
यह पहली बार है जब उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन से पहले इतनी व्यापक मॉक ड्रिल की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय बढ़ाना और संभावित कमियों को दूर करना है ताकि जंगल की आग पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके।
➡ निष्कर्ष: यह मॉक ड्रिल उत्तराखंड में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों को परखने और सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में बेहतर तालमेल स्थापित करने में मदद मिलेगी।