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काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर मॉक ड्रिल: आतंकी हमले के साये में सुरक्षा बलों का व्यापक अभ्यास, यात्रियों में मची अफरा-तफरी

Mock drill at Kathgodam railway station: Security forces conducted extensive exercise under the shadow of terror attack, panic created among passengers

हल्द्वानी: उत्तराखंड के नैनीताल जिले स्थित काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर बुधवार, 9 जुलाई को एक बड़े आतंकी हमले की आशंका के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस मॉक ड्रिल में सुरक्षा बलों ने आतंकवादी हमले की स्थिति को सजीव रूप से प्रदर्शित किया, जिसमें आतंकियों को मारने, यात्रियों को सुरक्षित निकालने और राहत कार्यों को अंजाम देने की पूरी प्रक्रिया का अभ्यास किया गया।

यह मॉक ड्रिल एक सुनियोजित योजना के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य संभावित आतंकी हमले जैसी आपातकालीन स्थिति में सुरक्षा बलों की तत्परता और आम नागरिकों की जागरूकता का मूल्यांकन करना था। मॉक ड्रिल के दौरान स्टेशन पर मौजूद यात्रियों और स्थानीय लोगों में कुछ समय के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली से चलकर पहुंची शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को भी नियंत्रित माहौल में स्टेशन पर रोका गया।

आतंकियों से मुठभेड़ का किया गया अभ्यास

मॉक ड्रिल की शुरुआत आतंकी हमले की सूचना के साथ हुई। सूचना मिलते ही पुलिस, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीम, बम निरोधक दस्ता और एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) तुरंत सक्रिय हो गए। सुरक्षाबलों ने स्टेशन परिसर को चारों ओर से घेर लिया और सबसे पहले यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।

ऑपरेशन के दौरान एक आतंकी को मार गिराया गया, जबकि दो आतंकियों को जिंदा पकड़ने का अभ्यास किया गया। इस ड्रिल के दौरान तीन लोग ‘घायल’ भी हुए, जिनका मौके पर प्राथमिक उपचार कराया गया। ऑपरेशन के बाद सभी एजेंसियों ने समन्वित रूप से राहत और बचाव कार्यों को अंजाम दिया।

मॉक ड्रिल से यात्रियों में भ्रम, बाद में मिली राहत

काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर जब पुलिस और सुरक्षा बल हथियारों से लैस होकर पहुंचे और गोलियों की आवाजें सुनाई दीं, तो वहां मौजूद यात्रियों में दहशत फैल गई। कई यात्री इधर-उधर भागते नजर आए। हालांकि थोड़ी देर बाद जब उन्हें बताया गया कि यह सब एक मॉक ड्रिल का हिस्सा है, तो उन्होंने राहत की सांस ली।

स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए यह घटना एक चेतावनी और जागरूकता का माध्यम बन गई कि संकट की घड़ी में कैसे संयम और सतर्कता से काम लिया जाए।

सुरक्षा बलों की बड़ी भागीदारी

इस मॉक ड्रिल में 80 से 90 सुरक्षाकर्मी शामिल थे। पुलिस, एटीएस, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ, डॉग स्क्वॉड, और चिकित्सा टीम ने इस अभ्यास में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अलावा, एक एंबुलेंस, दमकल वाहन और सुरक्षा उपकरणों से लैस टीमें पहले से ही अलर्ट पर थीं। सभी एजेंसियों के बीच तालमेल और त्वरित कार्रवाई इस मॉक ड्रिल की सफलता का मुख्य आधार रही।

क्यों किया गया मॉक ड्रिल?

एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने बताया कि काठगोदाम रेलवे स्टेशन कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है और यह पर्यटकों की आवाजाही का प्रमुख केंद्र भी है। खासतौर पर कैंची धाम जैसे धार्मिक स्थलों की ओर जाने वाले यात्रियों का यह प्रमुख पड़ाव है। ऐसे में अगर भविष्य में कोई आतंकी घटना घटती है तो उससे किस तरह प्रभावी ढंग से निपटा जा सके, इसके लिए यह अभ्यास बेहद आवश्यक था।

उन्होंने कहा कि मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य न केवल सुरक्षा बलों की तैयारी को परखना था, बल्कि आम नागरिकों को भी इस बात के लिए जागरूक करना था कि ऐसी परिस्थितियों में वे कैसे स्वयं को और दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं।

सजगता से ही टल सकती है त्रासदी

काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर आयोजित यह मॉक ड्रिल उत्तराखंड पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और पेशेवर क्षमता का परिचायक है। यह अभ्यास यह भी दर्शाता है कि राज्य प्रशासन किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए सतर्क और तैयार है। इस तरह के मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा एजेंसियों को अभ्यास का मौका देते हैं, बल्कि आम लोगों को भी संकट की स्थिति में सही कदम उठाने की समझ विकसित करते हैं।

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