मदमहेश्वर धाम यात्रा प्रारंभ: ओंकारेश्वर मंदिर से रवाना हुई भगवान की चल विग्रह डोली
Madmaheshwar Dham Yatra begins: The moving idol of God left from Omkareshwar temple

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड – पंच केदारों में द्वितीय केदार माने जाने वाले पावन मदमहेश्वर धाम की ग्रीष्मकालीन यात्रा का शुभारंभ परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ हो गया है। रविवार को उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह डोली रवाना की गई। वेद मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा के साथ भगवान के ग्रीष्मकालीन प्रवास की शुरुआत हुई।
इस अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से भगवान की उत्सव मूर्तियों को सभा मंडप में लाया गया। प्रधान पुजारी शिवशंकर लिंग व टी. गंगाधर लिंग की अगुवाई में डोली यात्रा से पूर्व वैदिक अनुष्ठानों, अभिषेक और आरती की गई। रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में पूजा विधि संपन्न हुई और शुभ मुहूर्त में डोली यात्रा की शुरुआत की गई।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, चढ़ाया गया नव अन्न
देशभर से पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। श्रद्धालुओं ने भगवान को नव अन्न का भोग अर्पित कर सुख-समृद्धि और विश्व शांति की कामना की। ओंकारेश्वर मंदिर परिसर पूरे दिन धार्मिक भक्ति से सराबोर रहा।
तीन दिवसीय यात्रा में कई पड़ावों से गुजरेगी डोली
भगवान मदमहेश्वर की डोली 19 मई को ओंकारेश्वर मंदिर से रवाना होकर डगवाड़ी, ब्राह्मण खोली, फापज, राऊलैंक जैसे गांवों से होते हुए पहले रात्रि विश्राम के लिए रांसी स्थित राकेश्वरी मंदिर पहुंचेगी। 20 मई को डोली गौंडार गांव में ठहरेगी और अंतिम दिन 21 मई को बनातोली, खटारा, नानौ आदि पड़ावों से होते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी।
21 मई को श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे कपाट
तीन दिवसीय यात्रा के बाद 21 मई को मदमहेश्वर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। मंदिर समिति और प्रशासन ने यात्रा को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए समुचित प्रबंध किए हैं।
धार्मिक पर्यटन को मिल रहा प्रोत्साहन
यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति, परंपराओं और पर्यटन को भी मजबूती प्रदान करती है। इस वर्ष मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी प्रधान पुजारी शिवशंकर लिंग निभाएंगे। प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए सुरक्षा, आवास और स्वास्थ्य सेवाओं के विशेष इंतजाम किए हैं।