
हरिद्वार: भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) द्वारा हरिद्वार के रोड़ी-बेलवाला मैदान में 15 से 18 जून तक आयोजित किए जा रहे किसान महाकुंभ का आज शुभारंभ हो गया। इस चार दिवसीय कार्यक्रम में देशभर से किसान प्रतिनिधि, संगठन पदाधिकारी और तीन प्रमुख राज्यों के किसान नेता शामिल हो रहे हैं। मुख्य फोकस किसानों के हितों से जुड़ी मांगों, MSP नीति, महंगाई और सरकारी कृषि योजनाओं की समीक्षा पर रहेगा।
तीन राज्यों के प्रतिनिधि एक मंच पर
BKU मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि इस महाकुंभ का उद्देश्य किसानों को एक मंच पर लाना और उनकी जमीनी समस्याओं को उठाना है। इस आयोजन के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों पर चर्चा की जाएगी। विशेषकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और फसलों की लागत से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी। दो दिनों तक चलने वाले संवाद सत्रों में किसान कल्याण और खेती से जुड़े तकनीकी सुधारों पर भी विचार किया जाएगा।
महंगाई और समर्थन मूल्य सबसे बड़े मुद्दे
चौधरी ने बताया कि लगातार बढ़ती महंगाई और खेती की लागत में इजाफे के बावजूद किसानों को उनकी उपज का समुचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दी जाने वाली ₹2000 की सहायता राशि किसानों की जरूरतों को पूरा करने में नाकाफी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो आंदोलन की दिशा बदल सकती है और राष्ट्रीय राजधानी की ओर प्रदर्शन तेज किया जा सकता है।
व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
आयोजन स्थल पर ठहरने, भोजन, चिकित्सा और सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की गई है। नरेश टिकैत और राकेश टिकैत जैसे प्रमुख किसान नेता इस कार्यक्रम में तीनों दिन मौजूद रहेंगे, जिससे किसान महाकुंभ को विशेष महत्व मिल रहा है।
सरकार को सौंपा जाएगा ज्ञापन
सम्मेलन के अंत में केंद्र और राज्य सरकारों को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा जाएगा जिसमें किसानों की प्रमुख मांगें शामिल होंगी—MSP में वृद्धि, फसलों और सौर ऊर्जा पर सब्सिडी, सिंचाई के पानी और बिजली पर राहत, और कृषि सुधारों को बढ़ावा देना। किसान नेताओं ने सरकार को चेताया है कि यदि उनकी बातें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन का रुख और अधिक उग्र हो सकता है।
उत्तराखंड के किसानों को उम्मीदें
चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड में किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं और सरकार को गंभीरता से उनकी बात सुननी चाहिए। महाकुंभ के ज़रिए उम्मीद की जा रही है कि सरकार पर दबाव बनेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले कदम उठाए जाएंगे।