
हरिद्वार – सावन की शुरूआत होते ही कांवड़ यात्रा की हलचल शुरु हो गई है। जहां भोलेनाथ के श्रद्धालु गंगा जल लेने हरिद्वार आ रहे हैं, वहीं एक चौंकाने वाली समस्या सामने आई है – कांवड़ पटरी की अनदेखी कर भक्त हाईवे से यात्रा कर रहे हैं। इससे हादसों और समाजिक तनाव की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन अब उनसे बातूनी अभियान के साथ साथ सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता बढ़ा रहा है।
हाईवे यात्रा: क्यों कांवड़ पटरी छोड़ रहे भक्त?
प्रशासन ने हरिद्वार से मोदीनगर तक दोबारा से कांवड़ पटरी सम्भालकर बनवाई है जो सीधे रास्ते, चिकित्सा सुविधा, जल, और भोजन आश्रयों से लैस है। लेकिन श्रद्धालु इसे छोड़कर हाईवे का रुख कर रहे हैं। वजह बताई जा रही है यात्रा का छोटा स्वरूप, रास्ते में दुकान, और लोकप्रियता।
हालांकि यह सच है कि हाईवे पर वाहन के साथ मिश्रित यात्रा से संभावित दुर्घटनाएं और हंगामे की स्थिति बन सकती है। पुलिस और प्रशासन लगातार हाईवे और पटरी मार्ग पर तैनात होकर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
प्रशासन की नई पहल: संवाद, संकेत और स्मार्ट ऐप
डीएम मयूर दीक्षित ने बताया, “अब हम सिर्फ अपील नहीं करेंगे, हम संवाद से शुरू करेंगे। पटरी पर बतौर मार्गदर्शक लोगों को तैनात किया गया है और संकरे हिस्सों में संकेतक बोर्ड लगाए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को रोका जा सके।”
साथ ही उन्होंने एक स्मार्ट कांवड़ ऐप लॉन्च करने की घोषणा की है। इसमें रूट मैप, पटरी मार्ग की सुविधा, मेडिकल यूनिट्स और भंडारे की जानकारी उपलब्ध होगी। श्रद्धालु व्हाट्सएप, कॉल या ऐप के माध्यम से ऑनलाइन मार्गदर्शन ले सकेंगे।
स्थानीय लोग उठा रहे सहयोग
पटरी मार्ग के समीप रहने वाले ग्रामीणों ने भी इस मुहिम में योगदान देना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि अब वे श्रद्धालुओं को रास्ता बता कर पटरी ले जा रहे हैं। कुछ ग्रामीणों ने ट्रकों में बीएसएफ-संकेतक उपकरण लगाए हैं, जो हाईवे-रोड यात्रियों को पटरी पर मोड़ने में मदद करेगा।
स्वास्थ्य सेवाएं अपडेट की जा रही हैं
पहले से सीमित 25 स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा अब 10 मोबाइल मेडिकल वैनें पटरी और हाईवे दोनों पर तैनात की गई हैं। डॉक्टरों को और डाक्टरों की टीमों से मदद लेने की व्यवस्था की गई है। डाक्टर डॉ. नेहा रावत, जो मोबाइल टीम में शामिल हैं, कहती हैं, “हम पहुंचे हैं मोटे तौर पर मुख्य मार्ग पर भर्ती श्रद्धालुओं तक निःशुल्क दवा और प्राथमिक जांच पहुंचाने के लिए।”
जोखिम और प्रशासनिक उपाय
सावन के दौरान कहीं न कहीं ट्रैफिक रोकना पड़ा है, लेकिन प्रशासन ने तय किया है कि फिल्मों, त्यौहारों और हेडलाइट समय को देखते हुए हाईवे केवल विशेष दिनों पर ही कुछ घंटों के लिए बंद करेंगे। इसके अलावा CCTV कैमरों को हाईवे-बंद मार्गों पर भी लगाया गया है ताकि आपात समय में तुरंत कार्रवाई की जा सके।
कांवड़ियों की प्रतिक्रिया
कुछ कांवड़िए जैसे राजीव, गौरव, और मनीष ने बताया कि वे हाईवे इसलिए चुनते हैं क्योंकि यह उन्हें सरल, छोटे और प्रक्रियागत रूप से सुविधाजनक लगता है। लेकिन उनमें से एक ने स्वीकारा, “अगर पटरी पर बेहतर शिक्षा और मार्गदर्शन मिलेगा, तो हम वहाँ जाना पसंद करेंगे।”
इस सावन में कांवड़ यात्रा धार्मिक उत्साह दिखला रही है, लेकिन हाईवे उपयोग की प्रवृत्ति इससे बड़ा जोखिम बन सकती है। प्रशासन सरकार, स्थानीय समाज और श्रद्धालुओं के बीच संवाद और समन्वय बढ़ा रहा है ताकि यह यात्रा सुरक्षित, श्रद्धापूर्ण और व्यवस्थित रहे। यदि यह प्रयास सफल होता है तो सार्वजनिक क्षेत्र में कांवड़ यात्रा के लिए एक सम्मानजनक आदर्श बनाया जा सकता है।