चारधाम यात्रा में बढ़ती मौतें: श्रद्धालुओं के लिए अलर्ट और तैयारी बेहद जरूरी
Increasing deaths in Chardham Yatra: Alertness and preparation is very important for the devotees

चारधाम यात्रा का शुभारंभ और बढ़ते आंकड़े
उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चारधाम – केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस साल चारधाम यात्रा 28 अप्रैल से शुरू हुई और अब तक 27 दिनों में ही 37 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, क्योंकि इन मौतों की मुख्य वजह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, खासकर हृदय गति रुकना, रही हैं।
केदारनाथ बना सबसे संवेदनशील धाम
चारधाम में सबसे ज्यादा मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं, जहां 18 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसके अलावा यमुनोत्री में 10, गंगोत्री में 7 और बदरीनाथ में 2 श्रद्धालुओं की मौत दर्ज की गई है। केदारनाथ में श्रद्धालुओं को लगभग 18 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करनी होती है, जो कई बार बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए जानलेवा साबित होती है।
अन्य ऊंचाई वाले धार्मिक स्थलों से तुलना
अगर हम देश के अन्य ऊंचाई वाले धार्मिक स्थलों जैसे हेमकुंड साहिब (4,329 मीटर), लेह-लद्दाख (3,529 मीटर), तवांग और काज़ा (3000+ मीटर) की बात करें, तो वहां श्रद्धालुओं की मृत्यु दर नगण्य है। इसका मुख्य कारण है – बेहतर तैयारी, वाहन से सुगम पहुंच और स्थानीय प्रशासन की सख्त निगरानी।
डॉक्टरों की चेतावनी और सलाह
फिजिशियन डॉ. केके त्रिपाठी के अनुसार, पहाड़ों में सांस लेने में कठिनाई, ब्लड प्रेशर और दिल की समस्याएं गंभीर रूप से प्रभाव डालती हैं। ऐसे में जो लोग 50 वर्ष से ऊपर हैं, उन्हें यात्रा से पहले अपना पूरा मेडिकल चेकअप करवाना चाहिए। थकान जल्दी हो, सांस फूलती हो या दिल से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी हो, तो चारधाम यात्रा करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
यात्रा की तैयारी कैसे करें?
डॉक्टरों और पर्वतारोहियों का मानना है कि पहाड़ी यात्रा अचानक नहीं की जानी चाहिए। कम से कम एक महीने पहले से शारीरिक तैयारी जरूरी है – जैसे रोजाना पैदल चलना, सीढ़ियां चढ़ना और नियमित व्यायाम करना। यात्रा के दौरान रुक-रुक कर चलना चाहिए ताकि शरीर ऊंचाई के अनुसार ढल सके। पर्याप्त नींद, पानी का सेवन और पोषक आहार भी जरूरी है।
पर्वतारोही की चेतावनी
पर्वतारोही शीतल राज का कहना है कि चारधाम यात्रा को लोग सामान्य यात्रा समझ बैठते हैं, जबकि यह पर्वतारोहण जैसा कठिन कार्य है। यहां तक पहुंचने के लिए पर्वतारोही महीनों की तैयारी करते हैं। श्रद्धालुओं को भी गंभीरता से सोचकर, आवश्यक जांच और फिजिकल फिटनेस के साथ यात्रा करनी चाहिए।
सरकारी तैयारियां और अपील
सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। साथ ही मेडिकल टीम, आपदा प्रबंधन बल, पुलिस और हेल्थ कैंप भी लगाए गए हैं। फिर भी मौतों की संख्या चिंता का विषय बनी हुई है। सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है कि वे बिना शारीरिक तैयारी के यात्रा पर न आएं।
श्रद्धालुओं की संख्या और अनुमान
अब तक के आंकड़ों के अनुसार यमुनोत्री में 2.54 लाख, गंगोत्री में 2.41 लाख, केदारनाथ में 5.51 लाख और बदरीनाथ में 3.78 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। अनुमान है कि इस साल कुल संख्या 50 लाख से पार हो सकती है। पिछले साल 42.92 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे और 52 की जान गई थी।
चारधाम यात्रा आस्था की प्रतीक है, लेकिन स्वास्थ्य और सुरक्षा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। जिन लोगों को किसी प्रकार की बीमारी है, वे बिना डॉक्टर की सलाह के यात्रा न करें। सरकार और विशेषज्ञों की हिदायतों का पालन कर श्रद्धालु अपनी यात्रा को सुरक्षित और सुखद बना सकते हैं।