बांदल नदी पर अवैध निर्माण का खुलासा, आपदा क्षेत्र में रिसॉर्ट, नदी का प्रवाह मोड़ा गया
Illegal construction on the Bandal River exposed, resort in the disaster zone, river flow diverted

देहरादून: उत्तराखंड के संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्र में बांदल नदी के किनारे अवैध निर्माण का मामला सामने आया है। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों के अनुसार, नदी का प्राकृतिक प्रवाह बदलकर एक आलीशान रिजॉर्ट का निर्माण किया जा रहा है। यह वही क्षेत्र है जहां 2022 की सरखेत आपदा ने तबाही मचाई थी। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि निर्माण को तुरंत रोका नहीं गया तो भविष्य में बड़े नुकसान की संभावना है।
मालदेवता आपदा ने खोला सच
15–16 सितंबर की रात देहरादून के मालदेवता, सहस्त्रधारा और मसूरी रोड इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन ने जन-धन का व्यापक नुकसान किया था। मुआयना करने पर पता चला कि सहस्त्रधारा की नदी के किनारे बने रिजॉर्ट ने नदी का प्रवाह बदल दिया था। बाढ़ आई तो सब तहस-नहस हो गया। जिलाधिकारी ने उस रिजॉर्ट स्वामी पर 7 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। इसी तरह अब बांदल नदी पर भी नया अवैध निर्माण सामने आया है।
बांदल नदी में निर्माण और जोखिम
देहरादून और टिहरी जिले की सीमा पर स्थित बांदल नदी के किनारे एक नया रिजॉर्ट बनाया जा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, 2022 की सरखेत आपदा के पहले इस जगह पर कोई निर्माण नहीं था। अब नदी के प्रवाह को कृत्रिम रूप से मोड़कर निर्माण किया जा रहा है।
भू-वैज्ञानिक की चेतावनी
जियोलॉजिस्ट एम.पी.एस. बिष्ट ने कहा कि यह क्षेत्र लैंडस्लाइड जोन में आता है और ऊपर की ओर ढेबरी लैंडस्लाइड पहले से एक्टिव है। यह धीरे-धीरे नीचे की ओर सरक रही है और निर्माण स्थल को सीधे प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कैमरे पर निशान दिखाए, जिससे पता चला कि पहाड़ी की गतिविधि लगातार नीचे बढ़ रही है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस संवेदनशील इलाके में निर्माण कैसे हो रहा है। न देहरादून प्रशासन और न ही टिहरी गढ़वाल प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई की है। टिहरी की जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल ने कहा कि रिपोर्ट मांगी गई है, जबकि देहरादून प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
सरखेत आपदा की यादें ताजा
19 अगस्त 2022 को सरखेत गांव में भीषण आपदा हुई थी। पांच लोगों की मौत हुई और पूरा गांव तबाह हो गया। कई परिवारों को पलायन करना पड़ा। ऐसे में नदी के प्रवाह को बदलकर निर्माण करना स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय है।
भविष्य की चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में छेड़छाड़ करना आपदा को न्योता देने के समान है। यह पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ता है और मानव जीवन को जोखिम में डालता है। बांदल नदी पर हो रहे अवैध निर्माण से प्रशासन की लापरवाही और नियमों की अनदेखी सामने आ रही है।
उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य में नदियों का मार्ग बदलकर निर्माण करना भविष्य की आपदाओं की जमीन तैयार करना है। सहस्त्रधारा और सरखेत जैसी घटनाओं से सबक लेने की जरूरत है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन अब भी चुप रहेगी या किसी नई त्रासदी के बाद ही कार्रवाई होगी।